Edited By Vijay, Updated: 06 Oct, 2022 10:13 PM

विश्व के सबसे बड़े देव महाकुंभ में सैंकड़ों देवी-देवता कुल्लू के ढालपुर मैदान में पहुंच चुके हैं। इस बार घाटी के करीब 10 देवी-देवता ने पहली बार दशहरा उत्सव में भाग लिया है लेकिन कई देवी-देवता ऐसे भी हैं जो सदियों के बाद भगवान रघुनाथ जी से मिलने आए...
कुल्लू (धनी राम): विश्व के सबसे बड़े देव महाकुंभ में सैंकड़ों देवी-देवता कुल्लू के ढालपुर मैदान में पहुंच चुके हैं। इस बार घाटी के करीब 10 देवी-देवता ने पहली बार दशहरा उत्सव में भाग लिया है लेकिन कई देवी-देवता ऐसे भी हैं जो सदियों के बाद भगवान रघुनाथ जी से मिलने आए हैं। बाह्य सराज आनी क्षेत्र के बिशल के आराध्य देवता शेषनाग ने सदियों बाद देव महाकुंभ में भाग लिया। देवता शेषनाग ने रघुनाथ जी का सम्मान प्रकट करने के लिए बिशल से अपने हारियानों के साथ 150 किलोमीटर की दूरी तय करके ढालपुर पहुंचे हैं।
सन 1660 मेंं लिया था दशहरा उत्सव में भाग
बता दें कि देवता शेषनाग ने सन 1660 मेंं दशहरा उत्सव में भाग लिया था। देवता शेषनाग ने इस बार के दशहरा उत्सव में भाग लेने की इच्छा जाहिए की थी। देव आदेश का पालन करते हुए देवलुओं ने इस बार देव परंपरा का निवर्हन किया। देवता शेषनाग के कारदार सोहन लाल ने कहा कि सदियों बाद देवता शेषनाग ने दशहरा उत्सव में भाग लिया है। उन्होंने कहा कि दशहरा उत्सव में स्थान निश्चित न होने के कारण देवता ने दशहरा उत्सव में भाग नहींं लिया। उन्होंने कहा कि जब कुल्लू का दशहरा आरंभ हुआ था तो उस दौरान देवता शेषनाग को राजा जगत सिंह ने चांद भेंट स्वरूप दी थी जो आज भी देवता के रथ में लगी है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि देवता को नजराना प्रदान किया जाए।
इन देवताओंं ने पहली बार लिया दशहरा उत्सव में भाग
बंजार क्षेत्र के गुलण के देवता शांगड़ी महादेव,नालाधार से देवता जहल, रूआड़ से देवता खोडू, बंजार क्षेत्र के खिलाधार से देवता रियालू नाग, लपाह के देवता थाण, बहेठा से देवता शांघडी,सिंधवा से देवता बनशीरा, दाहरा (पलाहच) से देवता छांजणू ने पहली बार देव महाकुंभ में भाग लिया।
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