Himachal: हजारों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़, ब्यास नदी में बहा दी मंडी सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की गंदगी

Edited By Vijay, Updated: 09 Apr, 2025 12:28 PM

sewage from mandi treatment plant discharged into the beas river

मंडी शहर के खलियार में ब्यास नदी के किनारे बने सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट से गंदगी को नदी में बहाने का मामला सामने आया है। आलम यह है कि गत 10 दिनों से नदी का पानी अपने मूल रंग में नहीं लौट पाया है...

धर्मपुर (उमेश ललित): मंडी शहर के खलियार में ब्यास नदी के किनारे बने सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट से गंदगी को नदी में बहाने का मामला सामने आया है। आलम यह है कि गत 10 दिनों से नदी का पानी अपने मूल रंग में नहीं लौट पाया है और जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर कांढापत्तन के पास आज भी काले मटमैले रंग का पानी बह रहा है। नदी के किनारे रहने वाले लोगों का कहना है कि 10-12 दिन पहले हुई बारिश के बाद बढ़े जलस्तर के बीच एकाएक काले रंग का बदबूदार पानी आने लगा था, जो आज भी आ रहा है। इसके अलावा नदी में मछली पकड़ने वाले मछुआरों का कहना है कि एक हफ्ते तक बहे काले रंग के पानी से दुर्गंध आती थी, जो भले ही आज कम हो गई है, लेकिन अभी भी पानी का रंग वास्तविक रूप में नहीं लौट पाया है। जब मामले की पड़ताल की गई, तो पाया गया कि  मंडी शहर के सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की गंदगी ब्यास नदी में डाल देने से नदी के पानी का रंग बदला है। चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो जलशक्ति विभाग की गलती हजारों लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर सकती है और उपभोक्ताओं में लिवर, किडनी और पाचन तंत्र से संबंधित घातक संक्रमण हो सकते हैं। 

यह बताया जा रहा नदी प्रदूषित करने का कारण
मंडी शहर के सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की गंदगी को बिना ट्रीट किए ब्यास नदी में फैंक देने से जलशक्ति विभाग की कई पेयजल योजनाओं में दूषित जल पहुंचा है। गत 10 दिनों में दर्जन भर उठाऊ पेयजल योजनाओं की मशीनें धड़ाधड़ पानी टैंकों में फैंक रही हैं, जो उपभोक्ताओं तक जाता रहा, लेकिन किसी ने भी नदी का पानी दूषित होने की वजह जानने की कोशिश नहीं की। अंदर की बात यह भी है कि कुछ योजनाओं के फिल्टरेशन टैंक आपदा काल की भेंट चढ़ चुके हैं और जुगाड़ से पेयजल आपूर्ति की जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि शहर के बाहरी क्षेत्र खलियार में ब्यास नदी किनारे बनाए गए ट्रीटमैंट प्लांट का अपग्रेडेशन कार्य चल रहा है और क्षमता से अधिक गीला कचरा आ जाने से प्लांट के कर्मियों द्वारा बारिश में बढ़े नदी के जलस्तर को ढाल बनाकर गंदगी ब्यास में बहा दी गई। हालांकि,  बेहद गंभीर मामला होने के बावजूद जलशक्ति विभाग के पंप हाऊसों में तैनात किसी भी कर्मचारी द्वारा इसकी सूचना अधिकारियों को नहीं दी गई। 

राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की हो रही अवहेलना
अहम बात तो यह है कि ट्रीटमैंट प्लांट से नदी में गंदगी फैंकने का क्रम सोमवार तक देखा गया, जोकि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की सरेआम अवहेलना है। बता दें कि एनजीटी ने नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण पर संज्ञान लेते हुए सीपीसीबी को प्रदेश के समस्त सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट्स की जांच करने के निर्देश जारी किए थे क्योंकि इन प्लांट्स से निकलने वाला अपशिष्ट प्रदूषण का मुख्य कारण है। आपदाकाल में क्षतिग्रस्त हुए इस सीवरेज प्लांट का अपग्रेड कार्य चल रहा है, लेकिन मौके पर सबूत मिले हैं कि वर्तमान प्लांट से अपशिष्ट नदी में डाला जा रहा है। भले ही धर्मपुर की पेयजल योजनाएं परकुलेशन वैल्स और सोन खड्ड के स्रोतों के दम पर चलाई जा रही हों, परन्तु कोटली उपमंडल की अधिकतर जल आपूर्ति ब्यास नदी किनारे बने फिल्टरेशन टैंकों से ही की जाती हैं।

क्या कहते हैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जल शक्ति विभाग के अधिकारी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मंडी के सहायक अभियंता विनय कुमार ने मामले से अनभिज्ञता जताते हुए तुरंत अधीनस्थ कर्मचारियों को मौके पर भेजने की बात कही और निष्पक्ष जांच कराने का आश्वासन दिया। वहीं जल शक्ति विभाग भराड़ी धर्मपुर के अधिशासी अभियंता योगेश कपूर ने बताया कि धर्मपुर की अधिकांश पेयजल योजनाओं का पानी परकुलेशन वैल्स से ही उठाया जा रहा है, इसलिए पेयजल में कंटेमिनेशन की संभावना न के बराबर है।
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here
हिमाचल प्रदेश की खबरें पढ़ने के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें Click Here

Related Story

Trending Topics

IPL
Rajasthan Royals

Royal Challengers Bangalore

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!