Edited By Vijay, Updated: 01 Oct, 2023 11:28 PM
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बेहाल हो गई है। नई कंपनी को ठेका मिलने के बाद पुराने कर्मचारियों में से 34 लोगों को हटाने के बाद सभी सुरक्षा कर्मियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है और राज्यपाल को पत्र भेजकर जिलाधीश कार्यालय के बाहर...
शिमला (संतोष): राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बेहाल हो गई है। नई कंपनी को ठेका मिलने के बाद पुराने कर्मचारियों में से 34 लोगों को हटाने के बाद सभी सुरक्षा कर्मियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है और राज्यपाल को पत्र भेजकर जिलाधीश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया है। सुरक्षा कर्मियों का कहना है कि यदि नौकरी से निकाले गए सुरक्षा कर्मियों को वापस नहीं लिया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। शनिवार देर रात जारी की गई सूची में 34 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया है, जिसके उपरांत आईजीएमसी में माहौल गर्मा गया है। रविवार सुबह सुरक्षा कर्मी अपने कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। अस्पताल प्रशासन द्वारा नए टैंडर में कुछ सुरक्षा कर्मियों को शामिल न करते हुए नौकरी से निकाल दिया गया है। सभी सुरक्षा कर्मियों ने नए टैंडर का विरोध किया है। सिक्योर गार्ड सिक्योरिटी एंड मैन पावर सर्विसिज प्राइवेट लिमिटेड को यह टैंडर दिया गया है। सुरक्षा कर्मियों का कहना है कि यह कंपनी 12 सितम्बर, 2020 को पंजीकृत हुई है और एक निजी कंपनी है, जिसे गैर-सरकारी कंपनी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसकी अधिकृत शेयर पूंजी 1 लाख व चुकता पूंजी 1 लाख है। आईजीएमसी का करीब 4 करोड़ रुपए का हर वर्ष का टैंडर है। बजट घोषणा के तहत इसेे सरकार द्वारा खुद करवाया जाना था लेकिन आईजीएमसी प्रशासन ने अपने स्तर पर कर दिया है।
डीसी ऑफिस के बाहर भी गरजे सुरक्षा कर्मी
आईजीएमसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्ज यूनियन संबंधित सीटू ने डीसी ऑफिस शिमला के बाहर प्रदर्शन किया, जिसे सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व यूनियन अध्यक्ष देवराज बबलू ने संबोधित किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर नौकरी से निकाले गए कर्मियों को वापस नौकरी पर न लिया तो आंदोलन तेज होगा। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों की मानसिक प्रताडऩा की जा रही है। ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है, जो कि यूनियन से आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा किए गए समझौते व औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 (एच) का खुला उल्लंघन है। औद्योगिक विवाद अधिनियम-1947 की धारा 25 (एच) की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नई आऊटसोर्स कंपनी द्वारा जो शपथ पत्र सुरक्षा कर्मियों से लिया जा रहा है, उसमें अनुचित श्रम व्यवहार किया जा रहा है। यह औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के 5वें शैडयूल व धारा 25 (यू) की अवहेलना है।
कंपनी को जारी होगा नोटिस : डाॅ. सीता
आईजीएमसी की प्राचार्य डाॅ. सीता ठाकुर ने कहा कि अस्पताल में सुरक्षा कर्मियों लेकर अब नया टैंडर हुआ है, जिसमें अब दूसरी कंपनी को टैंडर दिया गया है। जिन सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकाला गया है, उसमें प्रशासन का कोई रोल नहीं है। हमने कंपनी को टैंडर दिया है और अब कंपनी खुद तय करेगी कि किसे रखना है और किसे बाहर करना है। यदि सुरक्षा कर्मी ड्यूटी पर नहीं आते हैं तो कंपनी को नोटिस जारी किया जाएगा। कंपनी हमें सुरक्षा कर्मी दे ताकि आईजीएमसी में सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे।
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