वैज्ञानिक अजय शर्मा ने न्यूटन के 333 वर्ष पुराने नियम को दी चुनौती

Edited By Vijay, Updated: 17 Aug, 2019 03:52 PM

scientist ajay sharma challenge to newton law

बरसों पहले आर्किमिडीज, न्यूटन और आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिकों ने भौतिकी में कुछ ऐतिहासिक नियमों का आविष्कार किया था। इन नियम और सिद्धांतों को हम आज तक पढ़ते आ रहे हैं लेकिन एक भारतीय वैज्ञानिक अजय शर्मा ने इसको चुनौती दी है। अजय शर्मा के मुताबिक...

शिमला (योगराज): बरसों पहले आर्किमिडीज, न्यूटन और आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिकों ने भौतिकी में कुछ ऐतिहासिक नियमों का आविष्कार किया था। इन नियम और सिद्धांतों को हम आज तक पढ़ते आ रहे हैं लेकिन एक भारतीय वैज्ञानिक अजय शर्मा ने इसको चुनौती दी है। अजय शर्मा के मुताबिक न्यूटन का नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। यह नियम की महत्वपूर्ण खामी है। न्यूटन के अनुसार वस्तु चाहे गोल, अर्ध गोलाकार त्रिभुज, लम्बी पाइप, शंकु, स्पाट या अनियमित आकार की हो क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर होनी चाहिए। वस्तु का आकार पूरी तरह बेमानी है लेकिन प्रयोगों में प्रतिक्रिया वस्तु के आकार पर निर्भर करती है। इसकी अंतिम मान्यता के लिए कुछ प्रयोगों की आवश्यकता है। आज तक न्यूटन के नियम को बिना कुछ महत्वपूर्ण प्रयोगों के ही सही माना जा रहा है। यह अवैज्ञानिक है। अजय शर्मा के अनुसार इन नए प्रयोगों से न्यूटन का नियम बदल जाएगा।

22 अगस्त, 2018 की रिपोर्ट में अमेरिकन एसोसिएशन आफॅ फिजिक्स टीजरज के प्रैजीडैंट प्रोफैसर गौरडन पी रामसे ने प्रयोगों को करने की सलाह दी है। इंटरनैशनल जरनल ‘फाऊंडेसन्ज ऑफ फिजिक्स’ के फ्रांसीसी सम्पादक प्रो. कारलों रोवैली ने जून, 2018 को लिखा है कि इन प्रयोगों द्वारा न्यूटन के नियम की खामी दर्शायी जा सकती है। 2018 में इंडियन साइंस कांगे्रस ने भी अजय के शोध को फिजिकल साइंसिज की प्रोसीडिग्ज में प्रकाशित किया है। 25 जून, 2019 को इंडियन साइंस अकादमी, बैंगलुरु के जनरल, ‘करंट साइंस’ के एडिटर ने लिखा है कि न्यूटन का तीसरा नियम निश्चित तौर से अपस्ष्ट है। इस शोध के लिए अजय शर्मा को बधाई देनी चाहिए। इसलिए ये प्रयोग बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

अजय शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से प्रयोगों की सुविधाएं उपलब्ध करवाने की गुहार लगाई है। अजय शर्मा ने अमेरिका व यूरोप से प्रकाशित शोध पत्रों में 2266 वर्ष पुराने आर्किमिडीज के सिद्धांत, 333 वर्ष पुराने न्यूटन के नियमों और आइंस्टीन के पदार्थ-ऊर्जा समीकरण में अपनी तरफ के कई फेरबदल किए हैं। उल्लेखनीय है कि अजय शर्मा की 2 किताबें भी इंगलैंड के कैंब्रिज प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी हैं। ये पुस्तकें उनके शोधपत्रों पर आधारित हैं। अगर अजय शर्मा के तथ्यों में सत्यता पाई जाती है तो यह भारत के लिए एक महान उपलब्धि होगी।

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