Edited By Kuldeep, Updated: 20 Nov, 2023 06:43 PM

कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डा. एस.के. चौधरी ने कृषि मौसम विज्ञान पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 3 दिवसीय नवाचारों की राष्ट्रीय वार्षिक समीक्षा बैठक का शुभारंभ किया।
पालमपुर (भृगु): कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डा. एस.के. चौधरी ने कृषि मौसम विज्ञान पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 3 दिवसीय नवाचारों की राष्ट्रीय वार्षिक समीक्षा बैठक का शुभारंभ किया। 20 कृषि विश्वविद्यालयों के लगभग 100 कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि डा. एस.के. चौधरी ने कहा कि नए उपकरणों और तकनीकों के साथ कृषि सलाह की प्रमाणिकता बढ़ी है। कृषि मौसम विज्ञानियों ने अच्छा काम किया है। सरकार की सही योजना और निवेश के कारण फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है। उप महानिदेशक ने उम्मीद जताई कि शीर्ष कृषि मौसम विज्ञानियों के साथ युवा वैज्ञानिकों की बातचीत उपयोगी होगी और उन्होंने लंबी अवधि को देखते हुए मजबूत पूर्वानुमान लगाने की सलाह दी।
कुलपति डा. डी.के. वत्स ने कहा कि हाल के दिनों में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण कृषि मौसम विज्ञान एक चर्चा का विषय बन गया है। जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव के चलते परियोजनाओं से जुड़े वैज्ञानिकों की कृषि समुदाय को चुनौतियों का सामना करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने नई तकनीक के साथ मौसम पूर्वानुमान के महत्व, खेती पर विकास के प्रभाव, नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का उपयोग आदि पर भी चर्चा की।
आई.सी.ए.आर. के सहायक महानिदेशक डा. राजबीर सिंह ने कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, मौसम की चरम सीमा, जलवायु परिवर्तन के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव, फसल उत्पादन और उत्पादकता पर महत्वपूर्ण मौसम के प्रभाव पर बात की। परियोजना समन्वयक डा. शांतनु कुमार बल ने प्रमुख परियोजना उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। अनुसंधान निदेशक डा. एस.के. उपाध्याय और प्रधान अन्वेषक डा. एम. प्रभाकर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन सचिव डा. संदीप मनुजा ने बताया कि दोनों बैठक मेजबान विश्वविद्यालय और केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान हैदराबाद द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई है।