Edited By Punjab Kesari, Updated: 18 Nov, 2017 03:04 PM

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शिमला और प्लानिंग क्षेत्र में लिए नए भवनों के लिए ऊंचाई दस मीटर जोकि दो मंजिल के बराबर होगी वहीं चौड़ाई को भी कम कर दिया है। आकार को घटाने के फरमान से लोग सकते में हैं। एनजीटी के मुताबिक कोर और नॉन कोर एरिया में भवनों की...
शिमला : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शिमला व प्लानिंग क्षेत्र में नए भवनों के निर्माण के लिए हाइट दस मीटर तय की है। जिससे अब दो मंजिलें ही बनाई जा सकेंगी वहीं इनकी चौड़ाई को भी कम कर दिया है। आकार को घटाने के फरमान से लोग सकते में हैं। एनजीटी के मुताबिक कोर और नॉन कोर एरिया में भवनों की ऊंचाई और चौड़ाई संकुचित होगी। जहां पहले कोर एरिया में चार मंजिल तक भवन निर्माण की इजाजत थी अब दो मंजिल तक ही रह गई है। इसके अलावा नॉन कोर एरिया में पहले पांच मंजिलों के निर्माण की इजाजत थी वह भी पहले की अपेक्षा कम होगी। नए भवनों के फ्लोर रेशो पर असर पडऩे से लोगों को महंगे दामों पर फ्लैट खरीदने पड़ सकते हैं। कोर और नॉन कोर एरिया में मंजिल के हिसाब से नहीं बल्कि ऊंचाई के हिसाब से नियम बनाए गए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फरमान के बाद अब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग नए नियम तैयार करेगा। इससे शहर में अपना घर बनाने वाले लोगों की आशाओं पर पानी फिर सकता है।
वर्तमान में ये हैं नियम
शहरी क्षेत्र के कोर एरिया में साढ़े अठारह मीटर ऊंचाई यानि 4 मंजिल बनाई जा सकती थीं, नॉन कोर एरिया में 21 मीटर ऊंचाई के हिसाब से पांच मंजिलें बनाई जा सकती थीं। अब यह ऊंचाई दो मंजिल जिसकी ऊंचाई 8 से 10 मीटर होगी।
ये है फॉर्मूला
भवन का एफएआर-कोर और नॉन कोर एरिया में प्लाट एरिया को 1.75 से गुना किया जाता है, उसे भवन की कुल ऊंचाई में विभाजित किया जाता है। लेकिन, अब फ्लोर एरिया को ढाई मंजिल में विभाजित करना पड़ेगा।
दो भागों में बांटा शहरी क्षेत्र
हिमाचल के शहरी क्षेत्रों को दो भागों में बांटा है। इसमें कोर एरिया और नॉन कोर एरिया शामिल हैं। दोनों में ग्रीन और हेरिटेज एरिया भी शामिल है। वर्तमान में कोर एरिया में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भवन की ऊंचाई 21 मीटर निर्धारित की है। कुल मिलाकर साढ़े चार मंजिल तक भवन का निर्माण किया जा सकता है।
कांन्ट्रैक्टरों को होगा नुकसान
शिमला में भवन निर्माण करने वाले लोगों को भवनों की ऊंचाई कम करने के नए नियम से उन्हें करोड़ों का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे वे शिमला से बाहर ही नए भवनों के निर्माण को तवज्जो दे सकते हैं। वहीं शिमला में अपने घरों की आश लगाए बैठे लोगों को कुछ और साल अपने घर के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।