हिमाचल में पहली बार कैडेवरिक डोनेशन के बाद फ्लाइट के जरिए टांडा से PGI पहुंचाए ऑर्गन

Edited By Vijay, Updated: 01 Jul, 2022 09:38 PM

organs transported from tanda to pgi through flight for the first time

जीवन व मृत्यु प्रकृति का नियम है और यह भी सच है कि हम में से हर एक व्यक्ति हमेशा जीवित रहना चाहता है, अब यह संभव है। किसी और के शरीर में खुद को जीवित रखा जा सकता है। एक ऐसा ही उदाहरण प्रदेश के टांडा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में सामने आया है जहां...

टांडा में दूसरी बार हुआ कैडेवरिक ऑर्गन रिट्रीवल, 4 लोगों के शरीर में जिंदा रहेगी महिला
शिमला/कांगड़ा (जस्टा/किशोर):
जीवन व मृत्यु प्रकृति का नियम है और यह भी सच है कि हम में से हर एक व्यक्ति हमेशा जीवित रहना चाहता है, अब यह संभव है। किसी और के शरीर में खुद को जीवित रखा जा सकता है। एक ऐसा ही उदाहरण प्रदेश के टांडा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में सामने आया है जहां रिनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के तहत 75 वर्ष की महिला ने 2 किडनियां और 2 कॉर्निया दान किए हैं। टांडा मेडिकल काॅलेज में इसी साल लगातार दूसरी बार ब्रेन डैड मरीज के शरीर से अंग निकाले गए हैं जोकि पीजीआई चंडीगढ़ में प्रत्यारोपित किए गए। पहली बार ऑर्गन को फ्लाइट के माध्यम से टांडा से पीजीआई पहुंचाया गया।

सिर में गहरी चोट लगने से अस्पताल में भर्ती थी महिला 
पिछली बार की तरह इस बार भी रिनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. राकेश चौहान घटना के सूत्रधार बने। उनके अथक प्रयासों व लगन के कारण किडनी फेलियर के मरीज को नई जिंदगी मिली है। उन्होंने कहा कि सीढ़ियों से गिरने के कारण इस महिला के सिर में गहरी चोट लगी थी। इसके बाद इसे टांडा मेडिकल काॅलेज में भर्ती करवाया गया। महिला पिछले 10-12 दिन से अस्पताल में दाखिल थी। इलाज के दौरान हालत में सुधार नहीं हुआ तो महिला ब्रेन डैड की स्थिति में पहुंच गई। अस्पताल की ब्रेन डैड सर्टीफिकेशन कमेटी ने विभिन्न टैस्ट करवाने के बाद महिला के ब्रेन डैड होने की पुष्टि की। महिला के परिजनों को अंगदान के बारे में बताया गया। पारिवारिक सदस्यों ने दरियादिली दिखाते हुए अपने मरीज के अंगदान करने के लिए हामी भरी। वीरवार देर रात को क्रॉस मैचिंग के लिए ब्लड सैंपल बस के माध्यम से पीजीआई भेजे गए। पीजीआई में किडनी फेलियर के 2 मरीजों के साथ सैंपल मैच हुए। 

अस्पताल से गग्गल एयरपोर्ट तक बनाया ग्रीन कॉरिडोर 
क्रॉस मैचिंग होने के बाद शुक्रवार सुबह 5 बजे से डाॅ. राकेश चौहान की अध्यक्षता में किडनी व कॉर्निया रिट्रीवल ऑप्रेशन शुरू हुआ। ऑप्रेशन करीब 8 बजे तक चला और सफलतापूर्वक 2 किडनी और 2 कॉर्निया निकाले गए। सावधानीपूर्वक दोनों किडनियों को अस्पताल से ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से गग्गल एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया। सुबह करीब 10.30 बजे फ्लाइट टेक ऑफ हुई और दोपहर करीब 12 बजे ऑर्गन को पीजीआई पहुंचाया गया। चंडीगढ़ एयरपोर्ट से ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से कुछ ही समय में किडनी से भरे कंटेनर्स को वाहन के जरिए पीजीआई पहुंचाया गया। पीजीआई में 2 मरीजों के शरीर में महिला की ये दोनों किडनी ट्रांसप्लांट की जा रही हैं। 

क्या कहते हैं डॉक्टर 
डाॅ. राकेश चौहान का कहना है कि पीजीआई के रिनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के विभागाध्यक्ष डाॅ. आशीष शर्मा के सहयोग से दूसरी बार टांडा मेडिकल काॅलेज में सफल कैडेवरिक ऑर्गन रिट्रीवल हुआ है। डाॅ. राकेश ने कहा कि परिजनों की सहमति के बिना अंगदान का यह महान दान संभव न हो पाता। परिजनों ने समाज के लिए मिसाल कायम करते हुए एक उदाहरण पेश किया है। 

मार्च महीने में हुआ था पहला कैडेवरिक ऑर्गन डोनेशन
टांडा मेडिकल काॅलेज में इसी साल मार्च महीने में 18 साल के ब्रेन डैड युवक ने अपनी किडनी और कॉर्निया दान की थी। ये ऑर्गन रिट्रीवल भी रिनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग की ओर से हुआ था। इसमें पीजीआई की टीम ने भी सहयोग दिया था।

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