करंट लगने से खो दिया दायां हाथ, बाएं से लिखना सीखा-अब JRF के लिए चयनित

Edited By kirti, Updated: 01 Feb, 2020 10:42 AM

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करंट लगने की हुई दुर्घटना में अपना दायां हाथ खोने पर भी हिमाचल प्रदेश की छात्रा अंजना ठाकुर ने हार नहीं मानी और सभी चुनौतियोंं को पार करते हुए आज वह जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जे.आर.एफ.) के लिए चयनित हुई हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से अब वनस्पति...

 

शिमला : करंट लगने की हुई दुर्घटना में अपना दायां हाथ खोने पर भी हिमाचल प्रदेश की छात्रा अंजना ठाकुर ने हार नहीं मानी और सभी चुनौतियोंं को पार करते हुए आज वह जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जे.आर.एफ.) के लिए चयनित हुई हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से अब वनस्पति शास्त्र में एम.एससी. करते हुए पहले ही प्रयास में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी. एस. आई.आर.) की कठिन परीक्षा उत्तीर्ण कर जे.आर.एफ. के लिए चयनित हुई हैं। जिला मंडी के करसोग की बेटी अंजना ने यह उपलब्धि हासिल कर एक मिसाल पेश की है और उन लोगों के सामने एक उदाहरण पेश किया है, जोकि जीवन मेें कुछ चुनौतियों को सामने देख हार मान जाते हैं। अंजना ने यह साबित कर दिया है कि यदि जीवन में कुछ हासिल करने की इच्छा हो तो कितनी भी विपरीत परिस्थितियां व चुनौतियां आपके सामने आ जाएं, आप अपने जीवन के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।

अंजना अपनी उपलब्धि को लेकर खासी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि दृढ़संकल्प के साथ की गई कड़ी मेहनत रंग अवश्य लाती है। अपने जीवन के संघर्षपूर्ण पलों को याद करते हुए अंजना ने बताया कि बिजली के करंट से हुई दुर्घटना में उसने अपना दायां हाथ खो दिया था लेकिन उसने हार नहीं मानी। कई मुश्किलों को पार करते हुए बाएं हाथ से लिखना सीखा और फिर पहले असिस्टैंट प्रोफैसर के लिए पात्रता परीक्षा सैट पास की और अब सी.एस.आई.आर. की परीक्षा पास कर जे.आर.एफ. के लिए चयनित हुई हैं। अंजना ने बताया कि वह मंडी जिला की उपतहसील पांगणा के गांव गोड़न की रहने वाली हैं। उसने बताया कि जब करसोग कालेज में बी.एससी. चतुर्थ सैमेस्टर की छात्रा थी, उस समय करंट लगने के हादसे से उसका पूरा दायां हाथ काटना पड़ा था।

इस कारण उसकी पढ़ाई पर भी असर पड़ा और एक वर्ष का नुक्सान हुआ। उसने जिंदगी के इस भयावह मोड़ को एक चुनौती माना और बाएं हाथ से लिखना सीखा। परिवार में मां चिंता देवी, पिता हंसराज और बड़े भाई गंगेश कुमार ने हमेशा हौसला बढ़ाया। विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ई.सी.) के सदस्य व दिव्यांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि आई.आर.डी.पी. परिवार की इस छात्रा ने 10वीं कक्षा से लेकर बी.एससी. तक हमेशा 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। इन दिनों वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विद्योत्तमा गल्र्ज होस्टल में रह रही हैं।

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