Edited By Vijay, Updated: 07 Feb, 2020 11:35 PM
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सिरमौर जिला में एक धातु उत्पादन इकाई के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने जुर्माने की रकम एक सप्ताह के भीतर जमा करने के आदेश दिए हैं।
शिमला (ब्यूरो): नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सिरमौर जिला में एक धातु उत्पादन इकाई के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने जुर्माने की रकम एक सप्ताह के भीतर जमा करने के आदेश दिए हैं। न्यायमूर्ति रघुवेंद्र एस. राठौर और विशेषज्ञ सदस्य एसएस गरब्याल की पीठ ने आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरियां लेने तक कंपनी में उत्पादन निलंबित करने के आदेश सुनाए हैं।
एनजीटी ने ‘रेडिएंट सीमैंट कंपनी’ को निर्देश दिए वह पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करे और ईआईए (एन्वायरनमैंट ई पेक्ट असैसमैंट) अधिसूचना 2006 तथा उसके बाद के संशोधनों के अनुसार पर्यावरणीय मंजूरियां प्राप्त करे। एनजीटी ने यह आदेश याचिकाकर्ता आयुष गर्ग द्वारा दायर अपील पर सुनाए हैं। याचिकाकर्ता ने एनजीटी में दलील दी थी कि रेडिएंट सीमैंट कंपनी के प्लांट के कारण पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है।
एमओयू के मुताबिक इकाई की जो उत्पादन क्षमता होनी थी, कंपनी उससे कहीं ज्यादा उत्पादन कर रही है। यह ईआईए अधिसूचना 2006 के प्रावधानों का उल्लंघन है। यह कंपनी स्टेनलेस स्टील सिल्लियां और स्टेनलेस स्टील के लैटों का निर्माण कर रही है। सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर एनजीटी ने कहा कि यूनिट में स्थापित रोलिंग मिल की क्षमता सिंगल शिफ्ट के आधार पर 3,43,200 एमटीपीए (मीट्रिक टन प्रति वर्ष) है, ऐसे में जब तक पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक इकाई का संचालन निलंबित रहना चाहिए।