Hamirpur: प्राकृतिक खेती ने बदल दी अमर सिंह और उनके परिवार की जिंदगी

Edited By Jyoti M, Updated: 07 Dec, 2025 12:28 PM

natural farming has transformed the lives of amar singh and his family

प्राकृतिक खेती में नित नए मुकाम हासिल कर रहे हिमाचल प्रदेश में कई किसान इस सस्ती एवं जहरमुक्त खेती को अपनाकर न केवल अपने लिए सुरक्षित एवं पौष्टिक फल-सब्जियां तथा खाद्यान्न उगा रहे हैं, बल्कि इससे अच्छी-खासी कमाई भी कर रहे हैं।

हमीरपुर। प्राकृतिक खेती में नित नए मुकाम हासिल कर रहे हिमाचल प्रदेश में कई किसान इस सस्ती एवं जहरमुक्त खेती को अपनाकर न केवल अपने लिए सुरक्षित एवं पौष्टिक फल-सब्जियां तथा खाद्यान्न उगा रहे हैं, बल्कि इससे अच्छी-खासी कमाई भी कर रहे हैं। जिला हमीरपुर के नादौन उपमंडल की ग्राम पंचायत कमलाह के गांव साधबड़ के अमर सिंह ने भी खेती की इस पारंपरिक विधि को अपनाया और आज वह अपने परिवार के साल भर के गुजारे के अलावा लगभग एक लाख रुपये तक की सब्जी स्थानीय बाजार में बेच रहे हैं।

दरअसल, अमर सिंह अस्थायी नौकरी के साथ-साथ अपनी पुश्तैनी जमीन पर कई वर्षों से रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से खेती कर रहे थे। इससे खेती पर ज्यादा खर्चा हो रहा था और रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों से उनके खेतों में जहर घुल रहा था। यह जहर फल-सब्जियों और खाद्यान्न में भी पहुंच रहा था और जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो रही थी। कुछ वर्ष पूर्व उन्हें पॉलीहाउस और प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने इसमें अपना हाथ आजमाने का निर्णय लिया। सबसे पहले उन्होंने पॉलीहाउस और नर्सरी लगाई, जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। इसके बाद अमर सिंह ने कृषि विभाग की आतमा परियोजना के अधिकारियों के मार्गदर्शन से प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाए।

प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए आरंभ की गई प्रदेश सरकार की योजना के तहत अमर सिंह को दो दिन का विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया और प्राकृतिक खेती के लिए जरूरी सामग्री तैयार करने तथा ड्रम इत्यादि पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दी गई। अब वह पूरी तरह प्राकृतिक खेती से ही अलग-अलग फसलें, सब्जियां और फलदार पौधे लगा रहे हैं।

अमर सिंह ने बताया कि वह घर पर स्वयं ही गोबर, गोमूत्र, शक्कर और बेसन से जीवामृत तैयार कर रहे हैं तथा खेतों में इसी का छिड़काव कर रहे हैं। इससे उन्हें अच्छी पैदावार हो रही है। वह आलू, प्याज, लहसुन, बैंगन, गोभी, अन्य सब्जियां, सरसों तथा अन्य फसलें पूरी तरह प्राकृतिक खेती से ही उगा रहे हैं। इन फसलों को उन्हें स्थानीय बाजार में ही काफी अच्छे दाम मिल जाते हैं। परिवार की जरुरतों के अलावा वह स्थानीय बाजार में भी सब्जियां बेचकर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। वह साल में लगभग एक लाख रुपये तक की सब्जी बाजार में बेच रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने अमरुद, पपीता, कीवी और अन्य फलदार पेड़ भी लगाए हैं।

उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रयास बहुत ही सराहनीय हैं। प्राकृतिक खेती के लिए सब्सिडी और इससे तैयार फसलों के लिए अलग से उच्च दाम निर्धारित करके मुख्यमंत्री ने प्रदेश के किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।

 

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