Edited By Simpy Khanna, Updated: 14 Sep, 2019 04:07 PM
जिला एवं सत्र न्यायलय मंडी व सुंदरनगर न्यायलय में कार्यरत अधिवक्ता नरेन्द्र शर्मा हिमाचल प्रदेश के पहले वकील हैं, जो न्यायलय का सारा कामकाज हिंदी भाषा में करते हैं। यह अपनी मातृभाषा के प्रति उनका जज्बा ही है कि वह अनेकों परेशानियों से गुजरने के बाद...
सुंदरनगर (नितेश सैनी) : जिला एवं सत्र न्यायलय मंडी व सुंदरनगर न्यायलय में कार्यरत अधिवक्ता नरेन्द्र शर्मा हिमाचल प्रदेश के पहले वकील हैं, जो न्यायलय का सारा कामकाज हिंदी भाषा में करते हैं। यह अपनी मातृभाषा के प्रति उनका जज्बा ही है कि वह अनेकों परेशानियों से गुजरने के बाद भी अपनी वकालत का पूरा काम हिंदी भाषा में ही करते आ रहे हैं। न्यायलयों में हालांकि सारा काम अंग्रेजी भाषा में ही होता है, लेकिन नरेन्द्र शर्मा के हिंदी में लिखे गए दावों, प्रतिदावों और याचिकाओं को भी अदालतों में मान्य किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश के इकलौते अधिवक्ता नरेंद्र पिछले 20 सालों से अदालतों में अपने मामलों की पैरवी हिंदी में करते आ रहे हैं। यहां तक कि वह दावों, प्रतिदावों और याचिकाओं को भी हिंदी में ही बनाते हैं। मंडी जिला के सुंदरनगर निवासी नरेन्द्र शर्मा का कहना है कि देवनागरी (हिंदी) में विधि व्यवसाय उन्होने वकालत की पढाई के बाद वर्ष 1999 में सुंदरनगर न्यायलय के सब जज दुर्गा सिंह खेनल के कार्यकाल में उनकी प्रेरणा से शुरू किया था।
उन्होंने कहा की जब जज साहब की बदली हुई थी तो उन्होंंने कहा था कि हिंदी हमारी मातृभाषा के साथ-साथ संविधान के अनुसार राष्ट्रिय भाषा भी है, इसलिए हिंदी में विधि व्यवसाय जारी रखना। नरेन्द्र शर्मा के मुताबिक हिंदी में वकालत करने पर उन्हे कई कठिनाइयां आई और हिंदी के विरोध में कई स्वर भी उठे, लेकिन उन्होंंने इनका सामना करते हुए हिंदी में वकालत का कार्य जारी रखा। वह जिला स्तर तक के कोर्ट का पूरा कार्य वाद, प्रतिवाद, पुनरावेदन, पुर्ननिरिक्षण आदी का कार्य हिंदी में ही करते हैं।
नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि भारतीय संविधान की धारा 343 के तहत देवनागरी (हिंदी) को राष्ट्रिय भाषा का दर्जा दिया गया है। पठित राजभाषा अधिनियम 1963 की धाराा 7 के तहत हिंदी भाषी राज्यों उतर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान आदि के उच्च न्यायलयों में हिंदी को मान्य कर लागू कर दिया गया है, लेकिन हिंदी भाषा राज्य हिमाचल प्रदेश ने अभी तक उच्च न्यायलय में मान्यता नहीं मिल सकी है। प्रदेश के उच्च न्यायलय में भी हिंदी को मान्यता दी जानी चाहिए।
नरेन्द्र शर्मा के अनुसार पंजाब भू राजस्व नियम 44 के तहत एसडीएम, तहसीलदार को हिन्दी में निर्णय करने के निर्देश हैं। भारतीय संविधान व राजभाषा अधिनियम की धारा 7 के तहत हिन्दी भाषी क्षेत्र के राज्य उतर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकारों ने उच्च न्यायलय में हिन्दी भाषा को राष्ट्रपति की मंजूरी से मान्यता दिलवाई है। लेकिन हिन्दी भाषी राज्य होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश की सरकार ने प्रदेश उच्च न्यायलय में हिन्दी की मान्यता को लेकर आज तक कोई पहल नहीं की है।