पंचायती राज चुनावों को लेकर स्थिति स्पष्ट करे सरकार : राजेंद्र राणा

Edited By Vijay, Updated: 01 Aug, 2020 06:47 PM

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पंचायती राज चुनावों को लेकर क्या सरकार रोस्टर को बदलना चाह रही है या फिर नई पंचायतों का गठन करना चाह रही है? यह सवाल खड़ा करते हुए राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रैस बयान में कहा कि मीडिया में शुरूहुई चर्चाओं के...

हमीरपुर (ब्यूरो): पंचायती राज चुनावों को लेकर क्या सरकार रोस्टर को बदलना चाह रही है या फिर नई पंचायतों का गठन करना चाह रही है? यह सवाल खड़ा करते हुए राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रैस बयान में कहा कि मीडिया में शुरूहुई चर्चाओं के कारण अब यह सवाल खड़ा हो रहा है कि सरकार आखिर करना क्या चाह रही है? हालांकि दिसम्बर, 2020 में पंचायती राज चुनावों को करवाना सरकार की संवैधानिक मजबूरी है लेकिन परिपक्वता के अभाव व अपने लोगों के दबाव-प्रभाव में सरकार रोस्टर बदलने का फैसला ले सकती है। हर फैसले पर यू टर्न लेने वाली सरकार के तौर पर विख्यात हुई बीजेपी सरकार अब नई कन्फ्यूजन में पंचायती राज रोस्टर से छेड़छाड़ कर सकती है।

उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि अगर कन्फ्यूज सरकार के कन्फ्यूज फैसलों पर गौर करें तो कल ही इस सरकार की कैबिनेट यह फैसला भी सुना दे कि अब हिमाचल का टूरिज्म चांद पर विकसित होगा तो कोई हैरत न होगी। राणा ने कहा कि ताज्जुब यह है कि जिस सरकार के पास कोविड-19 जैसी महामारी के बचाव के लिए उपचार में लगे तंत्र पीपीई किट्स व अन्य जरूरी सामान देने के लाले पड़े हुए हैं। वह सरकार अब नई पंचायतों के गठन के लिए 40 करोड़ रुपए के खर्च को लेकर चर्चा में आ रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार बेशक नई पंचायतों का गठन करे विपक्ष को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन नई पंचायतों का गठन करने से पहले सरकार प्रदेश की जनता को यह बता दे कि नई पचंायतों के गठन पर खर्च होने वाले करीब 40 करोड़ रुपए की अनुमति वित्त विभाग से ले ली गई है। यहां सवाल यह भी है कि नई पंचायतों के गठन की अब जरूरत क्या आ पड़ी है। अगर सरकार को नई पंचायतों का गठन करना ही था तो इसका फैसला सरकार 1 साल पहले लेती क्योंकि नई पंचायतों के गठन के पूरे प्रोसैस में कम से कम 1 साल का समय लगना तय है, ऐसे में सरकार अब जब पंचायती राज चुनाव सिर पर हैं तो नई पंचायतों के गठन का राग अलापने लगी है जोकि प्रदेश की जनता की भावनाओं के विपरीत होगा।

उन्होंने कहा कि रोस्टर से छेड़छाड़ करने की चर्चाओं के बीच नई पंचायतों के गठन के चर्चे सरकार के फैसले लेने के विवेक पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि यह सरकार करना कुछ और चाहती है और बाद में होता कुछ और है। फिर अपने ही फैसलों पर यू टर्न लेकर रोल बैक करती है, जिससे यह समझना मुश्किल नहीं है कि कन्फ्यूज सरकार हर फैसला कन्फ्यूजन में लेकर प्रदेश की जनता को भी कन्फ्यूज करने का काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि पंचायती राज चुनावों को लेकर सरकार तुरंत स्थिति सपष्ट करे कि क्या नई पंचायतों का गठन हो रहा है? अगर हो रहा है तो राज संस्थाओं के चुनाव किस पैटर्न पर होंगे। सरकार को यह भी बताना होगा क्योंकि सरकार कभी कहती है कि चुनाव इस पैटर्न पर होंगे तो कभी कहती है कि रोस्टर इस पैटर्न पर लागू होगा।

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