नए कृषि कानूनों ने किसानों को दी अपने उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता : वीरेंद्र कंवर

Edited By Vijay, Updated: 19 Mar, 2021 12:16 AM

minister virender kanwar in assembly

प्रदेश सरकार परंपरागत बीजों को संरक्षित करने की दिशा में प्रभावी कदम उठा रही है। इसके लिए सरकार ने स्वर्ण जयंती पारंपरिक बीज संरक्षण योजना आरंभ की है तथा परंपरागत फसलों और प्राकृतिक कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए मार्कीटिंग की व्यवस्था को सुदृढ़...

शिमला (राक्टा): प्रदेश सरकार परंपरागत बीजों को संरक्षित करने की दिशा में प्रभावी कदम उठा रही है। इसके लिए सरकार ने स्वर्ण जयंती पारंपरिक बीज संरक्षण योजना आरंभ की है तथा परंपरागत फसलों और प्राकृतिक कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए मार्कीटिंग की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है। विधानसभा में विपक्ष द्वारा कृषि विभाग को लेकर लाए गए कटौती प्रस्तावों पर हुई चर्चा के जवाब में कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने उक्त जानकारी सदन में दी। मंत्री द्वारा जवाब दिए जाने के बाद विपक्ष ने कटौती प्रस्ताव वापस नहीं लिया जोकि ध्वनिमत से गिर गया।

परंपरागत दालों के बीज सुधार का एक प्रोजैक्ट केंद्र को भेजा

इससे पूर्व कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि परंपरागत दालों के बीज सुधार का एक प्रोजैक्ट केंद्र को भेजा है। इसके साथ ही प्रदेश की मंडियों में कोल्ड चेन और प्रोसैसिंग प्लांट विकसित करने के लिए 10 करोड़ रुपए का प्रोजैक्ट केंद्र ने मंजूर किया है। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों ने किसानों को अपने उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता दी है। नए कृषि कानूनों से एमएसपी खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पहले प्रदेश में किसानों के केवल 10 फीसदी उत्पाद ही मंडियों में बिक्री के लिए पहुंचते थे, जबकि अब 40 फीसदी से अधिक उत्पाद मंडियों में बिक रहे हैं।

यदि यह काला कानून है तो सफेद कानून कौन सा

विपक्ष द्वारा नए कृषि कानूनों को लेकर व्यक्त की गई शंकाओं पर उन्होंने कहा कि यदि यह काला कानून है तो सफेद कानून कौन सा है। उन्होंने दावा किया कि पड़ोसी राज्य पंजाब ने नए कृषि कानूनों को मंजूर कर लिया है और पंजाब में कांट्रैक्ट फाॄमग पहले से ही चल रही है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन वास्तव में किसानों के लिए नहीं, बल्कि वोटों के लिए है। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के लिए पहली बार शोध को लेकर 5 करोड़ का प्रावधान बजट में किया गया है।

एमएसपी के लिए कानून लाया जाए : जगत सिंह नेगी

इससे पूर्व कटौती प्रस्तावों पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए जगत सिंह नेगी ने प्रदेश सरकार से एमएसपी के लिए कानून लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कृषि को लेकर कम बजट रखा गया है, इससे सरकार की मंशा साफ  दिखती है। उन्होंने कहा कि जंगली जानवर खेती को नष्ट कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती के नाम पर किसानों को छला जा रहा है। विधायक नंद लाल ने कृषि उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलना चाहिए।

खाद्यान्नों की कालाबाजारी बढ़ेगी : हर्षवर्धन चौहान

विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि नए कृषि कानूनों से खाद्यान्नों की कालाबाजारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात एक जुमला है। आज भी प्रदेश का किसान बारिश पर निर्भर रहा है। ऐसे में कम से कम किसानों के खेतों तक पानी पहुंचे, उसके लिए कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि कृषि स्टेट सब्जैक्ट है। सरकार बताए कि प्रदेश ने नए कानूनों को अपनाना है या नहीं। विधायक लखविंद्र सिंह राणा ने कहा कि किसानों के लिए सिंचाई की जो व्यवसथा होनी चाहिए, वह माकूल नहीं है। उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र में कूहलों की खस्ता हालत का मामला उठाया और किसानों के ऋण माफ  करने की मांग की।

बागवानों के हितों को लेकर एसआईटी को रखा जाए जारी : सिंघा

विधायक राकेश सिंघा ने किसानों और बागवानों की हितों के लिए गठित एसआईटी को जारी रखने की मांग की। उन्होंने सैनिटाइजर की बोतल दिखाते हुए कहा कि जब कार्पाेरेट को अधिकतम खुदरा मूल्य सभी करों के साथ अंकित करने का अधिकार है तो किसान अपने उत्पाद के लिए अधिकतम समर्थन मूल्य क्यों नहीं ले सकता। सिंघा ने कहा कि एमआरपी की तर्ज पर किसानों के लिए स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार अधिकतम समर्थन मूल्य तय किया जाना चाहिए। उन्होंने शोघी और परवाणु में कर वसूली बैरियर लगाने पर सवाल उठाए और कहा कि जब देश में किसानों से किसी प्रकार का मार्कीटिंग शुल्क वसूल नहीं किया जाता है तो किसानों से उक्त बैरियरों पर कैसे वसूली की जा सकती है।

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