6 महीने की ट्रेनिंग से कोई सैनिक नहीं बनता : डी.एस. राणा

Edited By Kuldeep, Updated: 20 Jun, 2022 11:17 PM

mandi soldier 6 months training

6 महीने के प्रशिक्षण से कोई भी सैनिक नहीं बनता, एक प्रशिक्षित सैनिक कम से कम 4 या 5 साल के अनुभव से तैयार होता है। जब तक सैनिक तैयार होगा तब तक वह रिटायर्ड हो जाएगा।

मंडी (अनिल): 6 महीने के प्रशिक्षण से कोई भी सैनिक नहीं बनता, एक प्रशिक्षित सैनिक कम से कम 4 या 5 साल के अनुभव से तैयार होता है। जब तक सैनिक तैयार होगा तब तक वह रिटायर्ड हो जाएगा। कड़ी मेहनत और बॉर्डर से लेकर नक्सली क्षेत्र में अनुभव लेने के बाद ही एक सैनिक प्रशिक्षित बनता है। ये बातें कांग्रेस कमेटी सैनिक विभाग के प्रदेशाध्यक्ष रिटायर्ड मेजर जनरल डी.एस. राणा ने मंडी में प्रैस कॉन्फ्रैंस को संबोधित करते हुए कहीं।

  अग्निपथ योजना के बारे में केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए डी.एस. राणा ने कहा कि कारगिल कमेटी ग्रुप का हवाला देकर केंद्र सरकार इस योजना को लागू करने की बात कह रही है, लेकिन वास्तव में उसमें 4 साल वाली बात की जगह 10 वर्ष की बात है। 4 साल आर्मी में नौकरी करने के बाद युवा फिर बेरोजगार होकर सड़कों पर होंगे। नाम, नकम और निशान 4 साल में नहीं आता, इसके लिए वर्षों लग जाते हैं। इस योजना को लेकर दुनिया के देशों की बात कर भारत के युवाओं को गुमराह नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कांग्रेस की गतिविधियों को सांझा करते हुए कहा कि भूतपूर्व सैनिक विभाग एच.पी.सी.सी. का शीर्ष निकाय प्रदेश में कांग्रेस को विजयी बनाने व वोट दिलाने के लिए राज्य के 2 लाख पूर्व सैनिकों, सेवारत कर्मियों और वीर नारी का समर्थन हासिल करने के लिए अपनी योजना और रणनीति तैयार करेगा। प्रदेशभर में जिला व ब्लाक स्तर पर कमेटियों का गठन कर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय सुनिश्चित करने एवं सभी विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवारों की निर्णायक जीत हो, इसकी रणनीति भी तय की जाएगी।

सिक्योरिटी को छोड़ नहीं मिलेगी नौकरी
रिटायर्ड मेजर जनरल डी.एस. राणा ने कहा कि 4 साल आर्मी में सेवा देने के बाद 24 की उम्र में कौन-सी पढ़ाई होगी। मैं केंद्र सरकार से पूछना चाहता हूं कि 4 साल बाद 75 प्रतिशत युवाओं को रिटायर्ड किया जाएगा, तो उन्हें सिक्योरिटी को छोड़ कौन-सी नौकरी मिलेगी। क्या कार्पोरेट जगत 12वीं या 10वीं पास को नौकरी देगा, देश के भविष्य को आप सिक्योरिटी तक सीमित कर देंगे। केंद्र सरकार को इस दिशा में पुन: विचार करने की जरूरत है।

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