Edited By Jyoti M, Updated: 01 Dec, 2024 12:44 PM
हिमाचल प्रदेश की सौर ऊर्जा नीति ने राज्य में न केवल हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न कर रही है। विशेष रूप से, मंडी जिले के पंजाब सिंह तपवाल का उदाहरण इस नीति के सफल क्रियान्वयन को...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश की सौर ऊर्जा नीति ने राज्य में न केवल हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न कर रही है। विशेष रूप से, मंडी जिले के पंजाब सिंह तपवाल का उदाहरण इस नीति के सफल क्रियान्वयन को दर्शाता है। उन्होंने अपनी 8 बीघा बंजर भूमि पर 500 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट स्थापित किया और अब प्रतिमाह 2-3 लाख रुपये की आय प्राप्त कर रहे हैं।
सोलर पावर प्लांट का महत्व
सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी को अपनाकर, पंजाब सिंह तपवाल ने बंजर भूमि का उपयोग एक लाभकारी साधन में बदला। पहले जिन क्षेत्रों का उपयोग कृषि के लिए संभव नहीं था, अब वहां सौर ऊर्जा उत्पादन से आर्थिक गतिविधियों को गति मिल रही है। इस पहल से न केवल पर्यावरण की रक्षा हो रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को रोजगार और आय के नए अवसर भी मिल रहे हैं।
आर्थिक लाभ और भविष्य की संभावनाएं
पंजाब सिंह तपवाल के सोलर पावर प्लांट से उन्हें वार्षिक 24-28 लाख रुपये की आमदनी होने की उम्मीद है। यह निवेश न केवल उन्हें वित्तीय रूप से सशक्त बना रहा है, बल्कि उनके क्षेत्र के अन्य किसानों और उद्यमियों के लिए भी एक प्रेरणा बन गया है।