IIT Mandi : सड़क पर चलने वाले दृष्टिबाधितों का मददगार बनेगा लाइवसैंस

Edited By Vijay, Updated: 27 Aug, 2022 11:46 PM

livesense will help the visually impaired walking on the road

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी में संस्थान हिमालयन स्टार्टअप ट्रैक के छठे संस्करण के दौरान लगी प्रदर्शनी में आंखों की रोशनी न होने पर सड़क पर चलने वाले दिव्यांगों की लाइवसैंस डिवाइस प्रदर्शित किया।

मंडी (रजनीश): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी में संस्थान हिमालयन स्टार्टअप ट्रैक के छठे संस्करण के दौरान लगी प्रदर्शनी में आंखों की रोशनी न होने पर सड़क पर चलने वाले दिव्यांगों की लाइवसैंस डिवाइस प्रदर्शित किया। सनबॉट्स इनोवेशन एलएलपी अहमदाबाद गुजरात के फाऊंडर सुकेत ने बताया कि संस्था द्वारा जो लोग देख नहीं सकते हैं, उनकी सुविधा के लिए डिवाइस बनाई है। इस डिवाइस की खास बात यह है कि यह सड़क पर चलने में मदद करेगी। ऐसे दिव्यांग जो देख नहीं सकते, जब वे सड़क मार्ग पर चलते हैं तो उनके आगे क्या-क्या चीजें आएंगी, उन्हें यह डिवाइस डिटैक्ट करेगी और मोबाइल एप के माध्यम से ऑडियो से अवगत करवाएगी। डिवाइस ऐनक के साथ लगाई गई है और मोबाइल के साथ जुड़ी रहेगी और एप के माध्यम से कार्य करेगी। 
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डिवाइस पता करेगी बच्चों के दिमाग में क्या चल रहा है 
बच्चों के दिमाग में क्या चल रहा है, इसका पता लगाने के लिए नेमा एआई द्वारा एप और वैबसाइट तैयार की गई है। एप व वैबसाइट और सिर पर डिवाइस पहनने के बाद बच्चे की मानसिकता का पता लगाया जा सकेगा। उसके मुताबिक बच्चों की पढ़ाई की रुचि की तरफ ध्यान आकर्षित किया जा सकेगा। नेमा एआई दिल्ली की फाऊंडर निधि ने बताया कि इस तकनीक की खासियत यह है कि इसके माध्यम से बच्चे की संबंधित रिपोर्ट तैयार करके सामने आएगी, जिससे बच्चे की रुचि के अनुसार उसे पढ़ाने में मदद मिलेगी। नेमा एआई टीम द्वारा ऑटिज्म से पीड़ित 5-30 वर्ष के बीच के न्यूरोडिवर्जैंट व्यक्तियों के लिए व्यापक शिक्षण मंच विकसित किया है। 
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सेब के पेड़ की टहनियों से बनाए चम्मच-प्लेट
शिमला की हिमजॉय बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स द्वारा सेब की टहनियों से चम्मच-प्लेट और कटोरी तैयार की गई है। इनकी लाइफ 1 महीने तक है। इन्हें एक बार प्रयोग में लाने के बाद धोकर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रदर्शनी में प्रोजैक्ट के बारे में शगुन ने बताया कि इसे सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। कंपनी द्वारा 2017 में इसका कंसैप्ट लाया गया था। 

पहाड़ी क्षेत्रों में सामान पहुंचाने के लिए तैयार किया ड्रोन
ड्रोन युक्त उपकरण जंगल में लगी आग को काबू करने और दूरदराज क्षेत्रों में सामान पहुंचाने के लिए एबीजी एरोबोटिक्स ग्लोबल कुल्लू द्वारा उपकरण तैयार किया गया है। इसकी मदद से जंगल में लगी आग पर काबू पाने के लिए एक गोलाकार गेंद को ले जाकर उस जगह पर फैंकेगा। कंपनी फाऊंडर एवं निदेशक शरद खन्ना ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में जहां परिवहन सुविधा नहीं है, वहां यह जरूरी सामान पहुंचाएगा। 

स्टार्टअप में ये बने विजेता
मुख्यमंत्री ने ह्यूमन कम्प्यूटर इंट्रैक्शन बिल्ड फॉर द हिमालयाज एंड एन्वायरनमैंट एंड सस्टेनेबिलिटी पर आधारित स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज के 3 विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। द न्यू एज एलायंस के एचएसटी स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज का मानव कम्प्यूटर इंट्रैक्शन थीम श्रेणी में सनबॉट्स इनोवेशन एलएलपी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। दूसरे स्थान पर नेमा एआई टीम मस्तिष्क कम्प्यूटर इंटरफेस द्वारा ऑटिज्म और तीसरे स्थान पर सर्च गार्ड रहा है। फुटहिल इनोवेटर्स चैलेंज के बिल्ड फॉर द हिमालय थीम में बाइनरी लूप प्रथम स्थान पर रहा, दूसरा पुरस्कार वेब एग्रो टैक ने हासिल किया, जबकि ओडेसेमेनिया पूर्व यात्रा गाइड बुकिंग और यात्रा कार्यक्रम निर्माण वेब एप स्टार्टअप को तीसरा पुरस्कार मिला है। हैबिटेबल वल्र्ड चैलेंज की एन्वायरनमैंट एंड सस्टेनेबिलिटी विषय में किनोवेस पहला, एक्सश्योर बिल्डिंग ड्रग डिलीवरी प्लेटफार्म ने दूसरा और ईनाम न्यू उन्नत इंडिया टैक्नो सोल्यूशन एंड इनोवेशन ने तीसरे स्थान पर रहकर पुरस्कार के हकदार बने। 

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