Edited By Vijay, Updated: 14 Oct, 2018 09:35 PM
कसौली में चल रहे 7वें खुशवंत सिंह लिटफेस्ट का समापन देश की जानी-मानी पंजाबी लेखक अमृता प्रीतम की आखिरी कविता की पंक्तियों मैं तैनंू फिर मिलांगी के साथ हुआ। अमृता प्रीतम का इस वर्ष शताब्दी वर्ष है।
सोलन (नरेश): कसौली में चल रहे 7वें खुशवंत सिंह लिटफेस्ट का समापन देश की जानी-मानी पंजाबी लेखक अमृता प्रीतम की आखिरी कविता की पंक्तियों मैं तैनंू फिर मिलांगी के साथ हुआ। अमृता प्रीतम का इस वर्ष शताब्दी वर्ष है। उनका जन्म 31 अगस्त, 1919 पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। लिटफेस्ट के अंतिम सत्र में हमारी अमृता विषय के साथ उन्हें याद किया गया। इस विषय पर हुई चर्चा में फिल्म अभिनेत्री दिव्या दत्ता, हरजीत सिंह और डा. चंद्रत्रिखा ने भाग लिया।
निरूपमा दत्त ने किया सत्र का संचालन
सत्र का संचालन पत्रकार एवं लेखिका निरूपमा दत्त ने किया। उन्होंने अमृता प्रीतम के लेखन व जीवन पर प्रकाश डाला। इसके बाद फिल्म अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने बताया कि उन्होंने ट्रेन टू पाकिस्तान व भाग मिल्खा भाग में भी काम किया है। यदि कभी अमृता प्रीतम पर काम करने का मौका मिला तो अवश्य करेंगी। उन्होंने अमृता प्रीतम की अंतिम कविता मैं तैनंू फिर मिलांगी सुनाई। वक्ताओं ने बताया कि अमृता प्रीतम व खुशवंत सिंह की गहरी दोस्ती थी। डा. चंद्रत्रिखा ने अमृता प्रीतम की यादों को सांझा किया।