Edited By Vijay, Updated: 24 Nov, 2022 06:52 PM
उत्तरी भारत के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक कार्तिक स्वामी मंदिर कुगती के कपाट 30 नवम्बर को बंद हो जाएंगे। धार्मिक परंपरा के अनुसार मंदिर के कपाट 30 नवम्बर को दोपहर पूजा-अर्चना करने के बाद बंद कर दिए जाएंगे व अगले वर्ष बैसाखी के पर्व पर (अप्रैल) मास की...
भरमौर (उत्तम): उत्तरी भारत के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक कार्तिक स्वामी मंदिर कुगती के कपाट 30 नवम्बर को बंद हो जाएंगे। धार्मिक परंपरा के अनुसार मंदिर के कपाट 30 नवम्बर को दोपहर पूजा-अर्चना करने के बाद बंद कर दिए जाएंगे व अगले वर्ष बैसाखी के पर्व पर (अप्रैल) मास की संक्रांति वाले दिन श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुलेंगे। मंदिर के पुजारी मचला राम ने बताया कि मंदिर के कपाट बंद हो जाने के बाद किसी भी तरह का हवन, पूजा-पाठ, जगराता इस मंदिर में नहीं होता है। यहां तक कि मंदिर में जाने की अनुमति भी नहीं होती। परंपराओं के अनुसार कपाट बंद होने तथा बैसाखी को कपाट खुलने के बीच के समय को स्थानीय भाषा में अन्द्रोल कहा जाता है। इस दौरान किसी के भी मंदिर के अंदर आने की मनाही होती है। परंपराओं की अवहेलना किसी भी प्राकृतिक प्रकोप का कारण बन सकती है।
उत्तर भारत में एकमात्र भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय स्वामी का मंदिर जनजातीय क्षेत्र भरमौर की पंचायत कुगती में स्थित है व भरमौर से मंदिर की दूरी 31 किलोमीटर के लगभग है। कुगती गांव तक भरमौर से 26 किलोमीटर बस सेवा उपलब्ध है। कुगती से 4 किलोमीटर पैदल यात्रा के बाद केलंगेली स्थित मंदिर में पहुंचा जा सकता है। हर वर्ष हजारों की संख्या में देश-विदेश के श्रद्धालु यहां पर अपने आराध्य के दर्शनों के लिए आते हैं। जो लोगों में स्वामी कार्तिकेय में गहरी आस्था का प्रतीक है। सर्दियों के 4 महीनों में हर वर्ष कपाट बंद होने की परंपरा है। मान्यताओं के अनुसार इस दौरान कार्तिकेय भगवान सृष्टि भ्रमण पर जाते हैं तथा बैसाखी के दिन वापस लौटते हैं।
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