Shimla: HRTC कर्मचारियों का फिर लटका वेतन, ड्राइवर यूनियन का फूटा गुस्सा-सरकार को दी ये चेतावनी

Edited By Vijay, Updated: 09 Dec, 2025 04:42 PM

hrtc employees  salaries delayed again

एचआरटीसी के कर्मचारियों व अधिकारियों को वेतन फिर लटक गया है। इसी के विरोध में ड्राइवर यूनियन ने पुराना बस स्टैंड शिमला में गेट मीटिंग कर जोरदार प्रदर्शन किया।

शिमला (राजेश): एचआरटीसी के कर्मचारियों व अधिकारियों को वेतन फिर लटक गया है। इसी के विरोध में ड्राइवर यूनियन ने पुराना बस स्टैंड शिमला में गेट मीटिंग कर जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने सरकार और निगम प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर ड्राइवर यूनियन के प्रधान मान सिंह ठाकुर ने कहा कि दिसम्बर माह में भी अब तक वेतन जारी नहीं हुआ है। हर बार वेतन और भत्तों की बात पर घाटे का हवाला दिया जाता है, जबकि कर्मचारियों की देनदारियां लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि 100 कराेड़ का नाइट ओवर टाइम अभी तक लंबित है। 2016 का एरियर अब तक नहीं दिया गया है। पिछले 5 साल से चिकित्सा भत्ता नहीं मिला है। वेतन न मिलने से अधिकारी व कर्मचारी दोनों मानसिक रूप से परेशान हैं। यूनियन ने साफ कहा कि निगम कर्मचारियों की सारी देनदारियां प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है, क्योंकि एचआरटीसी सरकार चलाती है और इसलिए वेतन भी सरकार ही दे।

घाटा कर्मचारी का नहीं सरकार और प्रबंधन की देन
यूनियन ने कहा कि घाटे का ठीकरा कर्मचारियों पर फाेड़ना गलत है। निगम की बसें उन दुर्गम रूटों पर भी जाती हैं, जहां कोई निजी बस संचालक जाने को तैयार नहीं होता। खराब सड़काे पर बसें चलने से उनकी लाइफ कम हो जाती है, जिससे मुरम्मत खर्च बढ़ता है। इन हालातों के बावजूद एचआरटीसी रोजाना कमाई करके सरकार को दे रहा है।

बसें खड़ी करने की चेतावनी
यूनियन ने सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। यदि 24 दिसम्बर तक वेतन व बकाया भत्ते जारी नहीं किए गए तोक बड़े आंदोलन की रूपरेखा बनेगे। वहीं बसें अनिश्चितकाल के लिए बंद यानी खड़ी करने का निर्णय लिया जा सकता है। यूनियन प्रधान ने कहा कि कर्मचारी के ऊपर लगभग 8 लाख रुपए सरकार के देय हैं। अगर कर्मचारी के मरने के बाद पैसा मिलेगा, तो उस लाभ का क्या अर्थ रह जाएग। यूनियन ने यह भी कहा कि उन्हें हाईकोर्ट से वित्तीय लाभ लेना आता है, लेकिन बार-बार अदालत जाना समाधान नहीं। प्रधान ने कहा कि अब कर्मचारी आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगे पूरी नहीं हुईं तो इस बार आंदोलन के साथ-साथ बसें भी सड़काें पर खड़ी हाे सकती हैं, जिसकी सीधी जिम्मेदारी सरकार पर होगी।

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