Edited By Rahul Rana, Updated: 02 Aug, 2024 10:12 AM
भले ही हिमाचल प्रदेश में प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) द्वारा आयुष्मान भारत योजना (ए.बी.-पी.एम.जे.ए.वाई.) के तहत कथित घोटाले को लेकर की जा रही कार्रवाई को कांग्रेस राजनीति से प्रेरित बता रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि ऊना के एक अस्पताल के इसी तरह के एक...
हिमाचल: भले ही हिमाचल प्रदेश में प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) द्वारा आयुष्मान भारत योजना (ए.बी.-पी.एम.जे.ए.वाई.) के तहत कथित घोटाले को लेकर की जा रही कार्रवाई को कांग्रेस राजनीति से प्रेरित बता रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि ऊना के एक अस्पताल के इसी तरह के एक मामले को सबसे पहले राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने ही उजागर किया था। इसी के आधार पर राज्य के कई अस्पतालों के खिलाफ एजेंसी ने कार्रवाई शुरू की और सी.एम. सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी कांग्रेस के 2 बड़े नेताओं के अस्पताल भी ई.डी. के निशाने पर आ गए।
इनमें कांग्रेस विधायक एवं पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आर.एस. बाली और श्री बालाजी अस्पताल कांगड़ा के संचालक और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष डा. राजेश शर्मा शामिल हैं। हालांकि ई.डी. की वैबसाइट पर अभी तक इन कार्रवाइयों को लेकर कोई जानकारी मीडिया के साथ सांझा नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में अब तक ई.डी. द्वारा राज्य में की गई कार्रवाई के नतीजे जल्द सामने आ सकते हैं। एजेंसी धनशोधन निवारण अधिनियम (पी.एम.एल.ए.) आरोपियों के खिलाफ कागजी सबूत या गवाह का इंतजाम करने में जुटी है।
ई.डी. ने 16 जुलाई को शुरू की थी जांच
ई.डी. के अधिकारियों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश के नगरोटा से कांग्रेस विधायक एवं पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आर. एस. बाली और श्री बालाजी अस्पताल कांगड़ा के संचालक डा. राजेश शर्मा का नाम भी कथित धोखाधड़ी में सामने आया है। ई.डी. ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच 16 जुलाई को शुरू की थी। हालांकि राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ऊना ने 23 जनवरी, 2023 को श्री बांके बिहारी अस्पताल ऊना साकी आरोपी किरण सोनी और अन्य के खिलाफ कथित रूप से फर्जी एबी-पीएमजेएवाई आईडी कार्ड बनाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468 और 471 में मामला दर्ज किया था।
ये अस्पताल भी जांच की चपेट में
इसी आधार पर ई.डी. ने अब राज्य में व्यापक स्तर पर जांच शुरू की है। एजेंसी का कहना है कि श्री बांके बिहारी अस्पताल के अलावा, फोर्टिस अस्पताल, श्री बालाजी अस्पताल, सूद नर्सिंग होम और श्री हरिहर अस्पताल आदि ने कथित रूप से एबी-पीएमजेएवाई योजना का अवैध लाभ उठाया। यही वजह है कि इस जांच की आंच में कांग्रेस के दो बड़े नेता भी चपेट में आ गए।
लाभार्थियों ने उपचार लाभ लेने से किया इंकार
ई.डी. के अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच के दौरान 373 फर्जी आयुष्मान काड़ों की पहचान की गई है, जिनमें उक्त आयुष्मान कार्ड लामार्थियों को दिए गए उपचार के नाम पर सरकार से प्रतिपूर्ति के लिए लगभग 40,68,150 रुपए का दावा किया गया था। ऐसे फर्जी लाभार्थियों की सूची में रजनीश कुमार और पूजा धीमान का नाम भी शामिल है, जिन्होंने सत्यापन के बाद ऐसे किसी भी पीएमजेएवाई कार्ड के होने या उसके बारे में कोई जानकारी होने से भी इंकार कर दिया।
जून में हुई छापेमारी को लेकर जारी है कार्रवाई
इससे पहले ई.डी. ने जून माह में नादौन में आयकर विभाग के साथ मिलकर स्टोन क्रशर मालिक, होटल व्यवसायी, ज्वैलरी और शराब कारोबारी के यहां दबिश दी थी। ई.डी. ने 29 जून और 4 जुलाई को हमीरपुर और कांगड़ा जिलों में रेड की थी। जांच एजेंसियों ने आभूषण की दुकानों, पैट्रोल पंपों और स्टोन क्रशरों पर छापेमारी कर दस्तावेज एकत्र किए थे। हालांकि ई.डी. ने इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया था, लेकिन भाजपा नेताओं ने दावा करते हुए आरोप लगाया कि ई.डी. ने बड़े पैमाने पर अवैध खनन के संबंध में कुछ निष्कर्ष निकाले है और पाया है कि मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र ज्ञान चंद और प्रताप चंद अनियमितताओं में शामिल हैं।
विलेज कामन लैंड की खरीद-फरोख्त
ऐसा भी कहा जा रहा है कि नादौन में ऐसी भूमि की भी खरीद- फरोख्त हुई है जो विलेज कामन लैंड है, जबकि कानूनी तौर पर ऐसा किया ही नहीं जा सकता है। सूत्रों का यह भी कहना है कि ई.डी. के पास राज्य में भ्रष्टाचार को लेकर कई अन्य शिकायतें भी लंबित हैं।