Edited By Jyoti M, Updated: 15 Jan, 2025 10:30 AM
हिमाचल प्रदेश में पाए जाने वाले गद्दी कुत्ते को अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत राष्ट्रीय आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो करनाल ने आधिकारिक तौर पर स्वदेशी कुत्ते की नस्ल के रूप में मान्यता दे दी है। यह मान्यता हिमाचल के वैज्ञानिकों और पशुपालन विभाग के...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश में पाए जाने वाले गद्दी कुत्ते को अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत राष्ट्रीय आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो करनाल ने आधिकारिक तौर पर स्वदेशी कुत्ते की नस्ल के रूप में मान्यता दे दी है।
यह मान्यता हिमाचल के वैज्ञानिकों और पशुपालन विभाग के कई अधिकारियों के प्रयासों के बाद मिली है। गद्दी कुत्ता भारत में आधिकारिक रूप से पंजीकृत होने वाली चौथी स्वदेशी कुत्ते की नस्ल है और हिमालयी क्षेत्र की पहली नस्ल है।
गद्दी कुत्ते खासतौर पर भेड़ पालकों के काम आते हैं। इन्हें गद्दी समुदाय के लोग पालते हैं और ये ऊंचे पहाड़ों पर भेड़-बकरियों की देखभाल और सुरक्षा करते हैं। ये कुत्ते भेड़-बकरियों को नियंत्रित करते हैं और रात में उनकी पहरेदारी भी करते हैं। गद्दी कुत्ते ताकतवर और साहसी होते हैं। कई बार ये तेंदुए से भिड़कर भेड़-बकरियों को बचा लेते हैं। खतरे की स्थिति में ये भेड़ पालकों को अलर्ट भी करते हैं।
भेड़ पालक इन कुत्तों के गले में एक खास लोहे का पट्टा पहनाते हैं, जिसमें नुकीले कांटे लगे होते हैं। यह पट्टा तेंदुए के हमले से कुत्ते को बचाने में मदद करता है, क्योंकि तेंदुआ आमतौर पर गले पर वार करता है।
गद्दी कुत्तों को शुरू से ही खास डाइट दी जाती है, जिसमें बकरी का दूध, रोटी और छाछ शामिल होते हैं। बड़े होने पर इन्हें मांस और हड्डियां भी दी जाती हैं। इनकी खास डाइट और देखभाल की वजह से ये कुत्ते ताकतवर और तेजी से बढ़ते हैं। यह नस्ल अपने साहस और वफादारी के लिए जानी जाती है।