Edited By Vijay, Updated: 07 Sep, 2023 06:36 PM

हिमाचल में अब बिना सवारियों के घूम रही बसों के रूटों को निगम प्रबंधन घटाएगा। इससे निगम को प्रतिदिन लाखों रुपए की बचत होगी और दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे घाटे से उबरने में मदद मिलेगी। एचआरटीसी को बिना सवारी के घूम रही बसें महंगी पड़ रही हैं।
शिमला (राजेश): हिमाचल में अब बिना सवारियों के घूम रही बसों के रूटों को निगम प्रबंधन घटाएगा। इससे निगम को प्रतिदिन लाखों रुपए की बचत होगी और दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे घाटे से उबरने में मदद मिलेगी। एचआरटीसी को बिना सवारी के घूम रही बसें महंगी पड़ रही हैं। हर वर्ष एचआरटीसी को बसों की डैड माइलेज के कारण करोड़ों रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है। हाल ही में एचआरटीसी प्रबंधन की ओर से शिमला के तारादेवी, लोकल और शिमला ग्रामीण डिपो में 260 किलोमीटर की डैड माइलेज को समाप्त किया गया है। इससे एचआरटीसी को हर वर्ष करीब 20 से 22 लाख रुपए की बचत होगी। इन 3 डिपो के बाद अब एचआरटीसी प्रबंधन और सरकार पूरे प्रदेश में डैड माइलेज को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि हर वर्ष हो रहे करोड़ों रुपए के घाटे को कम किया जा सके।
निगम बढ़ाएगा माइलेज व अर्निंग
निगम प्रबंधन के अनुसार एचआरटीसी माइलेज व अर्निंग दोनों को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहा है। इसमें एचआरटीसी को काफी हद तक सहायता भी मिली है। एचआरटीसी ने प्रति किलोमीटर अॄनग को 38 से 42 रुपए किया है जबकि लक्ष्य 45 प्रतिशत अर्निंग का है। इसके अलावा माइलेज भी एचआरटीसी की बढ़ी है। इससे पहले जहां 3.45 किलोमीटर की एवरेज एचआरटीसी बसों की है तो अब इसे 3.60 कर दिया गया है।
डैड माइलेज कम करने पर किया जा रहा काम : मुकेश अग्निहोत्री
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि प्रदेशभर में डैड माइलेज कम करने पर काम किया जाएगा। किसी रूट पर जा रही बस अंतिम सवारी को छोड़कर जब आती है तो उसके बाद ड्राइवर-कंडक्टरों के रहने के स्थान पर बिना सवारी के जा रही है। कई जगह यह स्थान काफी दूर-दूर हैं। इसके अलावा कई जगहों पर ड्राइवर-कंडक्टरों को डीजल भरवाने के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ रहा है। इन बिना सवारी के चक्करों के कारण एचआरटीसी को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का नुक्सान उठाना पड़ रहा है। निगम डैड माइलेज को कम करने के लिए प्रयास कर रहा है। इसके लिए पंचायत प्रधानों से भी बात की जाएगी कि जहां तक बस जाती है वहीं पर ड्राइवर-कंडक्टरों के रहने की व्यवस्था की जाए ताकि एचआरटीसी के ड्राइवर-कंडक्टरों को रहने के लिए इधर-उधर न जाना पड़े।
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