Edited By Vijay, Updated: 21 Oct, 2022 09:56 PM

कालका-शिमला फोरलेन का निर्माण कार्य पूरा करने में हो रही देरी पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने परवाणु से कैथलीघाट तक सभी अवैध कब्जों को पुलिस सहायता से हटाने के आदेश दिए हैं।
शिमला (मनोहर): कालका-शिमला फोरलेन का निर्माण कार्य पूरा करने में हो रही देरी पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने परवाणु से कैथलीघाट तक सभी अवैध कब्जों को पुलिस सहायता से हटाने के आदेश दिए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के कब्जों को हटाने का जिम्मा दिया गया है। अदालत ने डीसी और एसपी सोलन को आदेश दिए हैं कि वे प्राधिकरण को उचित पुलिस सहायता मुहैया करवाएं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने 28 अक्तूबर को परवाणु से कैथलीघाट तक और 29 अक्तूबर को वाकना गांव से कब्जे हटाने के आदेश दिए हैं।
पिछले आदेशों के तहत हाईकोर्ट ने डीसी सोलन की कार्यशैली पर टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा था कि वह इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उपायुक्त होने के साथ-साथ वह जिलाधीश भी हैं। अपने जिला में वह राजस्व विभाग के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं। अदालत ने अवैध कब्जों को हटाने के आदेश दिए थे लेकिन उपायुक्त ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निशानदेही के लिए आवेदन करने के निर्देश दिए थे। अदालत ने उपायुक्त को आदेश दिए थे कि वह निशानदेही के लिए उपयुक्त स्टाफ मुहैया करवाने के आदेश दें। अदालत के आदेशों की अनुपालना में उपायुक्त सोलन ने फोरलेन की निशानदेही की। अदालत को बताया गया कि परवाणु से कैथलीघाट तक 14 अवैध कब्जे किए गए हैं। इस कारण फोरलेन के निर्माण में देरी हो रही है।
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