Edited By Vijay, Updated: 17 Nov, 2023 11:09 PM

प्रदेश हाईकोर्ट ने वर्कचार्ज स्टेटस से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है कि दैनिक भोगी कर्मियों के हित में लाई गई वही पॉलिसी लागू होगी, जिसमें कर्मियों को अधिक लाभ मिलने का प्रावधान बनाया गया है।
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने वर्कचार्ज स्टेटस से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है कि दैनिक भोगी कर्मियों के हित में लाई गई वही पॉलिसी लागू होगी, जिसमें कर्मियों को अधिक लाभ मिलने का प्रावधान बनाया गया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 1 फरवरी, 1991 को दैनिक भोगी के तौर पर तैनात कर्मी को 1 अप्रैल, 2000 से वर्कचार्ज स्टेटस सभी सेवा लाभों के सहित देने के आदेश पारित कर दिए। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी को वन विभाग में दैनिक भोगी कर्मी के तौर पर 1 फरवरी, 1991 में नियुक्त किया गया था।
वर्ष 1998 तक प्रार्थी ने 240 दिन हर साल में पूरे कर लिए थे। रिकाॅर्ड के मुताबिक उसे वर्ष 1999 व 2000 में केवल 209 व 183 दिन ही काम मिला। प्रार्थी ने उसे 8 वर्ष की सेवा पूरी करने के पश्चात वर्कचार्ज स्टेटस दिए जाने बाबत वन विभाग के समक्ष गुहार लगाई लेकिन विभाग ने प्रार्थी के क्लेम को यह कहकर खारिज कर दिया था कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मूलराज उपाध्याय के मामले में दिए गए निर्णय के अनुसार वह 31 दिसम्बर, 2000 तक 10 साल का कार्यकाल 240 दिनों सहित पूरा नहीं करता था। न्यायालय ने यह पाया कि प्रार्थी जो वर्ष 1991 में नियुक्त किया गया था, वर्ष 1998 तक 240 दिनों सहित 8 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुका था।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब तक प्रार्थी को मूलराज उपाध्याय मामले में दिए गए फैसले के मुताबिक लाभ दिया जाता, इसी दौरान राज्य सरकार ने 8 वर्ष 240 दिनों सहित पूरे करने वाले कर्मियों को वर्कचार्ज स्टेटस देने बाबत बनाई पॉलिसी को भी लागू किया था। प्रार्थी का मामला 2 विभिन्न नीतियों के अंतर्गत आता है, जिस कारण जो पॉलिसी प्रार्थी को अधिक लाभ देती है, वही पॉलिसी प्रार्थी के लिए लागू करना कानूनी तौर पर न्यायोचित होगी।
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