हाईकोर्ट ने मंडी से मनाली के बीच पुराने NH की दयनीय स्थिति पर PWD को लगाई कड़ी फटकार

Edited By Vijay, Updated: 04 Apr, 2024 09:21 PM

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प्रदेश हाईकोर्ट ने मंडी से मनाली के बीच पुराने नैशनल हाईवे की दयनीय स्थिति पर लोक निर्माण विभाग को कड़ी फटकार लगाई। मामले की सुनवाई के दौरान लोक निर्माण विभाग....

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने मंडी से मनाली के बीच पुराने नैशनल हाईवे की दयनीय स्थिति पर लोक निर्माण विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। मामले की सुनवाई के दौरान लोक निर्माण विभाग की ओर से हिदायत के लिए किसी कर्मचारी या अधिकारी के कोर्ट में उपस्थित न रहने को खेदजनक बताया। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि पुराने हाईवे पर कई जगह इतनी धूल उड़ती है कि गाड़ी से बाहर कुछ भी दिखाई नहीं देता। यह स्थिति वास्तव में व्यथित कर देने वाली है।

कोर्ट में एनएचएआई की ओर से बताया गया कि पुराने हाईवे का अधिकांश भाग प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है। इसलिए इसका रखरखाव प्रदेश सरकार को करना है और एनएचएआई ने इसके लिए जरूरी राशि लोक निर्माण विभाग को दे दी है। इस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा कि पिछली बरसात के बाद सड़कों की हालत में क्या सुधार हुआ है। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि जब पिछली सुनवाई के दौरान उन्होंने उक्त सड़क बारे अपने खुद के अनुभव सांझा कर स्थिति ठीक करने को कहा था तो ऐसा क्यों नहीं किया गया। इन प्रश्नों के उत्तर देने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से कोर्ट में कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। कोर्ट ने खेद जताया कि अनेकों सरकारी अधिकारी, जनप्रतिनिधि और अन्य कर्त्ता धर्त्ता इन सड़कों का प्रयोग करते रहते हैं परंतु इनकी दयनीय हालत को दुरुस्त करने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उनके खुद के द्वारा देखी गई सड़कों की दयनीय हालत उजागर करने के बावजूद एनएचएआई और लोक निर्माण विभाग आपस में ब्लेम गेम खेलने में व्यस्त हैं। सरकार ऐसे मामलों में सक्रिय होने की बजाए प्रतिक्रिया करने लगती है। कोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग का अगली आपदा से पहले जागना जरूरी है, आपदा के बाद जागने से नुक्सान की भरपाई ही करनी होती है जिससे जनता के धन का दुरुपयोग होता है।

कोर्ट ने सरकार से सड़कों को मोटरेबल स्थिति में न लाने का कारण पूछा है। उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश ने जनहित से जुड़े इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन्होंने हाल ही में कुल्लू-मनाली का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने पाया कि पुराने हाईवे की स्थिति में कोई सुधार नहीं किया गया है। पिछले वर्ष जुलाई और अगस्त महीने में भारी बारिश से हुए भूस्खलन का मलबा अभी तक नहीं हटाया गया है। इस दौरान सड़क को पहुंचे नुक्सान की मुरम्मत भी नहीं की जा रही है। कोर्ट ने कहा था कि इस फोरलेन में बनी सुरंगे ठीक तो हैं परंतु इनमें उड़ रही धूल और सड़क की बुरी हालत गाड़ी चालकों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। कुछ स्थानों पर भूस्खलन के कारण सड़क तंग हो गई है जिस पर तुरंत प्रभावशाली कार्रवाई करने की जरूरत है।

कोर्ट ने इन सभी मुद्दों पर एनएचएआई से स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने उपरोक्त स्थितियों में संभावित कदम उठाए जाने की जानकारी भी तलब की थी। हाईकोर्ट ने एनएचएआई द्वारा अवैज्ञानिक तरीके से सुरंगें और राजमार्ग बनाने पर संज्ञान लिया है। कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा था कि हाल ही में भारी बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। भूस्खलन के कारण राजमार्गों को काफी नुक्सान हुआ है और विशेष रूप से चंडीगढ़-शिमला और चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भू-कटाव के कारण यातायात के लिए बाधित रहता है। मामले पर सुनवाई 30 अप्रैल को निर्धारित की गई है।
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