Edited By Jyoti M, Updated: 04 Dec, 2024 04:28 PM
हिमाचल प्रदेश में अब केरल की तर्ज पर कैंसर, अधरंग (पक्षाघात) और चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों को घर पर ही उपचार और देखभाल मिलेगी। पैलिएटिव केयर के जरिये इन मरीजों को घर-द्वार ही उपचार और दवाइयों की सहूलियत मिलेगी, ताकि उन्हें अस्पतालों में जाने की...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश में अब केरल की तर्ज पर कैंसर, अधरंग (पक्षाघात) और चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों को घर पर ही उपचार और देखभाल मिलेगी। पैलिएटिव केयर के जरिये इन मरीजों को घर-द्वार ही उपचार और दवाइयों की सहूलियत मिलेगी, ताकि उन्हें अस्पतालों में जाने की मुश्किलों से बचाया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग राज्यभर में कैंसर, अधरंग और असमर्थता से जूझ रहे मरीजों का डाटा एकत्रित किया जाएगा। इस डाटा के आधार पर मरीजों को घर पर ही पैलिएटिव केयर की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिससे वे अपने परिवार के बीच रहकर उपचार प्राप्त कर सकेंगे।
पैलिएटिव केयर
पैलिएटिव केयर या उपशामक देखभाल का उद्देश्य सिर्फ मरीज को शारीरिक रूप से आराम देना नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहायता भी प्रदान करना है। इसमें डॉक्टर और मेडिकल टीम मरीज की समस्याओं को समझती है, उनकी मानसिक स्थिति पर ध्यान देती है, और उन्हें संतुलित आहार, दवाइयों के अलावा, कभी-कभी आध्यात्मिक या संगीत सेशंस भी उपलब्ध कराती है। इससे मरीज का जीवन अधिक आरामदायक और गुणवत्तापूर्ण बनता है।
विशेष रूप से बुजुर्गों और असमर्थ व्यक्तियों के लिए
कैंसर और अधरंग जैसी गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे कई मरीजों को अपने घरों में ही तिरस्कार और उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। कई बार परिवारजन इन मरीजों को वृद्धाश्रम या नारी निकेतन में छोड़ देते हैं, जिससे उनकी देखभाल सही से नहीं हो पाती और उनकी स्थिति बिगड़ जाती है। पैलिएटिव केयर के तहत, इस तरह के मरीजों को घर पर ही उपचार मिल सकेगा, जिससे उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से राहत मिलेगी।
चंबा जिले का उदाहरण
जिला चंबा में करीब 800 मरीज कैंसर, अधरंग और चलने-फिरने में असमर्थता से जूझ रहे हैं। वहीं डॉ. बिपन ठाकुर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चंबा ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव की ओर से केरल की तर्ज पर भी प्रदेश भर के जिलों में आने वाले कैंसर, अधरंग पीड़ित और चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों को पैलिएटिव केयर के जरिये घर-द्वार ही उपचार और दवाइयां प्रदान करने की योजना हैं।
दो सप्ताह में ये डाटा स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाना निर्धारित किया गया है। आशा वर्कर डाटा एकत्रित करने का काम कर रहीं हैं।