Edited By Jyoti M, Updated: 04 Sep, 2024 12:29 PM
कुल्लू घाटी में हरियाली घट रही है। पर्यावरण की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले हरे-भरे पेड़-पौधों की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही है। घाटी के ऊंचे जंगलों में वन काटू सक्रिय हो गए हैं। कई वन क्षेत्रों में सूखी लकड़ी की आड़ में हरे पेड़ों की...
हिमाचल डेस्क (धनी राम): कुल्लू घाटी में हरियाली घट रही है। पर्यावरण की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले हरे-भरे पेड़-पौधों की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही है। घाटी के ऊंचे जंगलों में वन काटू सक्रिय हो गए हैं। कई वन क्षेत्रों में सूखी लकड़ी की आड़ में हरे पेड़ों की बड़ी-बड़ी टहनियों को काटा जा रहा है। संबंधित विभाग की लापरवाही के कारण वन माफिया दिन-दिहाड़े बेखौफ होकर कटाई कर रहा है, जिससे कुछ समय बीत जाने के कारण सैंकड़ों पेड़ सूख जाते हैं।
वन क्षेत्र में जितने पेड़ कट रहे हैं, इसकी तुलना में पौधारोपण व पेड़ों का संरक्षण नहीं हो रहा है। वन काटू सालों पुराने पेड़ों का सफाया कर रहे हैं, लेकिन वन विभाग बेखबर है। सूत्र बताते हैं कि घाटी के अनेक जंगलों में वन काटुओं ने इन दिनों पेड़ों की लोपिंग शुरू कर दी है।
संदीप शर्मा वन अरण्यपाल ने कहा कि वन काटुओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। अवैध कटान रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। फील्ड स्टाफ को बीट क्षेत्र में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
कुल्लू वहीं कई लोग टी.डी. की लकड़ी के लिए भी पेड़ों की टहनियां काट डालते हैं और पेड़ सूखने पर वही लोग टी. डी. की लकड़ी के लिए आवेदन करते हैं। हैरानी की बात है कि वन विभाग ने वन क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है, लेकिन इसके बावजूद वन काटू अवैध कटान करने पर तुले हुए हैं।
अवैध कटान रोकने के लिए कड़े कदम उठाए वन विभाग
घाटी के जंगलों में अवैध कटान थमने का नाम नहीं ले रहा है, ऐसे में पर्यावरण प्रेमी चिंतित हो गए हैं। पर्यावरण प्रेमी अभिषेक, किशन लाल, प्रदीप, भूपेन्द्र, अजय, रोहित, विवेक व देवेद्र ठाकुर आदि का कहना है कि हरे-भरे पेड़ों का कटान रोकने के लिए वन विभाग को कड़े कदम उठाने चाहिए, जिससे काफी हद तक पर्यावरण का संरक्षण हो सकता है। वन विभाग को अवैध कटान मामले में संवेदनशील वन बीटों में गश्त बढ़ानी चाहिए।