Edited By Vijay, Updated: 12 Dec, 2025 10:51 PM

सरकार ने आय जुटाने का एक नया विकल्प तलाशा है। वाटर सैस में विफल रहने के बाद अब सरकार हिमाचल प्रदेश में जलविद्युत परियोजनाओं से भू-राजस्व वसूलेगी।
शिमला (भूपिन्द्र) : सरकार ने आय जुटाने का एक नया विकल्प तलाशा है। वाटर सैस में विफल रहने के बाद अब सरकार हिमाचल प्रदेश में जलविद्युत परियोजनाओं से भू-राजस्व वसूलेगी। यह भू-राजस्व हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य की समस्त पनबिजली परियोजनाओं से परियोजना की औसम बाजार मूल्य पर से 2 प्रतिशत की दर से प्रस्तावित किया गया है। सभी परियोजनाओं से यह भू-राजस्व 1 जनवरी, 2026 से देना होगा। सरकार ने जो भू-राजस्व प्रस्तावित किया है उसके अनुसान राज्य में कुल 1852.97 करोड़ रुपए एकत्रित होने की संभावना है। यदि सरकार का यह प्रस्ताव सिरे चढ़ा तो आर्थिक तंगी का सामना कर रही राज्य सरकार के लिए यह संजीवनी होगा। राज्य सरकार की ओर से इसके लिए 2 अधिसूचनाएं जारी की गई हैं। इसके अनुसार हितधारकों से इसके लिए 15 दिन के अंदर आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किए हैं। आपत्तियां व सुझाव सुनने के बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
पहली अधिसूचना भू-व्यवस्था विभाग की ओर से जारी की गई है। यह अधिसूचना विभाग ने जिला किन्नौर, शिमला, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर व लाहौल-स्पीति में स्थापित परियोजनाओं के लिए की जारी की है। इन 6 जिलों में स्थापित परियोजनाओं से कुल 1126.45 करोड़ रुपए भू-राजस्व प्राप्त होगा। वहीं भू-व्यवस्था अधिकारी एवं राजस्व अधिकारी निर्धारण प्रभारी कांगड़ा मंडल ने दूसरी अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार यह अधिसूचना जिला लाहौल-स्पीति, कुल्लू, कांगड़ा, चम्बा व मंडी जिले में स्थापित जलविद्युत परियोजना
ओं पर लागू होगी। इन जिलों से 726.52 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा। इसमें बड़ी परियोजनाओं से करोड़ों में वार्षिक भू-राजस्व प्रस्तावित किया गया है। इसके तहत 1,000 मैगावाट कड़छम वांगतू परियोजना पर 155.07 करोड़, 1,500 मैगावाट नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना पर 222.6 करोड़, पौंग डैम हाईड्रो पावर प्रोजैक्ट बीबीएमबी पर 58.76 करोड़ रुपए तथा ब्यास सतलुज लिंक प्रोजैक्ट पर 146.91 करोड़ रुपए का प्रस्तावित भू-राजस्व तय किया गया है।