Mandi: थाटा में मनाई बूढ़ी दीवाली, ऐसे भगाईं आसुरी शक्तियां

Edited By Kuldeep, Updated: 02 Dec, 2024 12:34 PM

gohar old diwali

सराज के थाटा में रविवार को बूढ़ी दीवाली का पर्व धूमधाम से मनाया गया जिसमें आसुरी शक्तियों को भगाया गया। देव शैटीनाग के कारदार हिम्मत राम ने बताया कि बूढ़ी दीवली देखने आए लोगों के लिए ग्रामीणों ने पारंपरिक पकवान बनाए थे जिनका लोगों ने खूब  आनंद उठाया।

गोहर (ख्यालीराम): सराज के थाटा में रविवार को बूढ़ी दीवाली का पर्व धूमधाम से मनाया गया जिसमें आसुरी शक्तियों को भगाया गया। देव शैटीनाग के कारदार हिम्मत राम ने बताया कि बूढ़ी दीवली देखने आए लोगों के लिए ग्रामीणों ने पारंपरिक पकवान बनाए थे जिनका लोगों ने खूब  आनंद उठाया। बूढ़ी दीवाली एक साल चेत व दूसरे थाटा क्षेत्र में आयोजित की जाती है। इस बार की बढ़ी दीवाली थाटा में आयोजित की गई। दीवाली की शुरूआत हरिजन बस्ती से की गई और उसके बाद यहां से देवता के हारियान हरिजन भाइयों के साथ नाचते-गाते थाटा गांव पहुंचे। थाटा में अग्नि का फेर कर सामान्य जाति के लोगों ने अपनी मशालें प्रज्वलित की। इसके बाद नाटी का दौर शुरू हुआ जोकि सुबह तक चला।  

इसलिए मनाई जाती है बूढ़ी दीवाली
सराज में इस त्यौहार को आराध्य देव शैटीनाग की जगीश के तौर पर मनाया जाता है तथा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बूढ़ी दीवाली का आयोजन बुरी ताकतों और आसुरी शक्तियों को भगाने के लिए दैवीय अनुष्ठान के रूप में किया जाता है। इसके अलावा यह लोगों के मन में पनप रहे पापाचार पर मुक्ति पाने का भी एक माध्यम है। हालांकि इसका कोई लिखित इतिहास नहीं है लेकिन मान्यता है कि शिव-शक्ति का सामूहिक आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी इस पर्व को मनाया जाता है।

गांव-गांव घुमाई जाती है करंडी
 देवता की करंडी जिसे पाचड़ु कहते हैं, को गांव-गांव घूमकर शैटाधार पहुंचाया जाता है और लोग देवता का आशीर्वाद लेते हैं। इसी दौरान सब घरों में पवित्र पाची के छींटे डाले जाते हैं। शाम को मशालें लेकर चलने वाले लोग भी पाची (आचमन) लेते हैं और मशालों पर छिड़कते हैं, जिससे मशाल पवित्र रहती हैं और देवकृपा से किसी को कोई नुक्सान नहीं पहुंचता।  
 

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