Edited By Simpy Khanna, Updated: 25 Sep, 2019 10:26 AM
गोबिंद सागर के कई घाट मृत प्राणियों के शवों, कूड़े-कचरे की अधिकता के कारण गंदगी से भर चुके हैं। अगर समय रहते केंद्र सरकार व भाखड़ा -ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने गोबिंद सागर झील की सफाई के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए तो वो दिन दूर नहीं गोबिंद सागर यानि...
बिलासपुर (मुकेश) : गोबिंद सागर के कई घाट मृत प्राणियों के शवों, कूड़े-कचरे की अधिकता के कारण गंदगी से भर चुके हैं। अगर समय रहते केंद्र सरकार व भाखड़ा -ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने गोबिंद सागर झील की सफाई के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए तो वो दिन दूर नहीं गोबिंद सागर यानि कि भाखड़ा बांध में संग्रहित जल के प्रदूषित होने का खतरा और बढ़ जाएगा।
गौरतलब है कि वर्ष 1960 के दशक में भाखड़ा बांध के निर्माण के उपरान्त जलभंडारण के रूप में गोबिंद सागर झील अस्तित्व में आई थी। गोबिंद सागर झील की लंबाई करीब 90 किलोमीटर जबकि इसकी सर्वाधिक चौड़ाई करीब सात किलोमीटर तक फैली हुई है। भाखड़ा बांध से शुरुआती दौर में पंजाब -हरियाणा राज्यों को नहरों से जोड़ कर हरित क्रान्ति का आगाज हुआ था। उत्तरी भारत के अनेक राज्यों की जनता को बिजली की सुविधा प्रदान हुई थी। अन्नाज के क्षेत्र में देश को भुखमरी अकाल जैसी मुसीबतों से छुटकारा मिला था। पंजाब -हरियाणा सहित अन्य दो राज्यों में भी सिंचाई योजनाओं के अलावा पेयजल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
इसके अलावा भाखड़ा बांध से जाने वाले पानी को दिल्ली के अलावा राजस्थान तक नहरों को विकसित कर बंजर धरती पर फसलें व विभिन्न प्रकार के बगीचे लहलाए। विडंबना इस बात की है कि चार राज्यों की प्यास बुझाने वाली भाखड़ा बांध पर मानव निर्मित एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम गोबिंद सागर झील के कई घाट मृत प्राणियों के अलावा कूड़े -कचरे से लबा -लब भरे पड़े हैं। आमजनता को दुःख इस बात का है कि भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने भी गोबिंद सागर झील का महत्व नहीं समझते हुए इसमें बढ़ रही गंदगी पर अंकुश लगाने के अलावा गोबिंद सागर झील की सफाई के प्रति आंखें मूंद रखी हैं जिस कारण बुद्धीजीवि वर्ग गोबिंद सागर झील की दुर्दशा एवं अनदेखी के चलते असमंजस में है।
बिलासपुर वासियों ने केंद्र सरकार व भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड से मांग की है कि गोबिंद सागर झील में बढ़ रही गंदगी को रोकने के अलावा इसकी सफाई के लिए कोई ठोस सकारात्मक कदम उठाए जाएं।