Edited By Vijay, Updated: 22 Oct, 2019 01:15 PM
जिला प्रशासन द्वारा उपायुक्त कार्यालय में नगर निगम के महापौर के कार्यालय में जबरन कब्जा करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नगर निगम के बीजेपी पार्षद सीएम से डीसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।बताया जा रहा है कि सोमवार को पार्षद सीएम जयराम से...
शिमला (तिलक राज): जिला प्रशासन द्वारा उपायुक्त कार्यालय में नगर निगम के महापौर के कार्यालय में जबरन कब्जा करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नगर निगम के बीजेपी पार्षद सीएम से डीसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।बताया जा रहा है कि सोमवार को पार्षद सीएम जयराम से मिले और कार्यवाही की गुहार लगाई। हालांकि नगर निगम की महापौर इस मामले पर चुप्पी साध रही हैं। जब उनसे इसको लेकर पूछा गया तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। उधर, पूर्व महापौर संजय चौहान ने जिला प्रशासन की इस कार्यवाई को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि नगर निगम के कार्यालय पर जबरन कब्जा अशोभनीय घटना है। उन्होंने कहा कि नगर निगम के महापौर जनता द्वारा चुने प्रतिनिधि होते हैं। संविधान द्वारा उन्हें कई अधिकार भी दिए गए है।

कब्जा करना था तो पहले नगर निगम के अधिकारियों से करते बात
उन्होंने कहा जिला प्रशासन को कब्जा करना था तो पहले नगर निगम के अधिकारियों से बात करते लेकिन जिला प्रशासन द्वारा ऐसा नहीं किया गया और जबरन महापौर के कार्यालय का ताला तोड़ कर कब्जा किया गया है जोकि निंदनीय घटना है और लोकतंत्र के लिए सही नही है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से दोषी अधिकारियों पर सख्त करवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि शिमला नगर निगम में ओर प्रदेश में दोनों जगहों पर बीजेपी काबिज है ऐसे में महापौर के साथ इस तरह का बर्ताव हैरानी वाला है।
जिला प्रशासन ने कई बार जारी किया था नोटिस
बता दें टाऊनहाल मिलने के बाद नगर निगम की महापौर ने अपना कार्यालय शिफ्ट कर दिया था लेकिन उपायुक्त कार्यालय को जहां महापौर पहले रह रही थीं वो खाली नहीं किया गया था। उस कार्यालय में महापौर का सामान था। नगर निगम ने वहां पर अपना ताला लगाया था। जिला प्रशासन ने कई बार नगर निगम को खाली करने के लिए नोटिस भी जारी किया ा लेकिन नगर निगम उसे खाली नहीं कर रहा था और जिला प्रशासन ने ताला तोड़ कर महापौर के कार्यालय को कब्जे में ले लिया है और उपमहापौर को भी जल्द कार्यालय खाली करने के निर्देश दिए हैं।