अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव : देव आदि ब्रह्मा ने मंडी शहर में बांधी सुरक्षा कार

Edited By Vijay, Updated: 25 Feb, 2023 04:15 PM

dev adi brahma tied security kaar in mandi city

छोटी काशी मंडी में अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन इलाका द्रंग के उत्तरशाल से शिरकत करने वाले प्राचीन देवता देव आदि ब्रह्मा ने मंडी शहर की परिक्रमा कर कार बांधी। इस दौरान मंडी शहर की सुरक्षा का वायदा करते हुए उन्होंने शहर वासियों को...

मंडी (अनिल): छोटी काशी मंडी में अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन इलाका द्रंग के उत्तरशाल से शिरकत करने वाले प्राचीन देवता देव आदि ब्रह्मा ने मंडी शहर की परिक्रमा कर कार बांधी। इस दौरान मंडी शहर की सुरक्षा का वायदा करते हुए उन्होंने शहर वासियों को सभी तरह की बीमारियों व आसुरी शक्तियों से निजात दिलवाने का वायदा किया। बता दें कि यह एक पौराणिक और प्राचीन परंपरा है जो विरासत काल से चली आ रही है जिसका हर वर्ष परंपरा के साथ निर्वहन किया जाता है। सर्व देवता समिति प्रधान शिव शर्मा ने बताया कि हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि मेला के समापन पर देव आदि ब्रह्मा जी मंडी शहर की परिक्रमा करते हैं और सुरक्षा कार बांधते हैं। यह कार्यक्रम मंडी शहर के ऐतिहासिक सिद्ध काली मंदिर से शुरू होकर ऐतिहासिक सेरी मंच पर समाप्त होता है। इस दौरान देवता के गोल पुजारी देवली आटा हवा में उछालते हैं। इसकी यह मान्यता है कि यह आटे की ही सुरक्षा दीवार देव आदि ब्रह्मा द्वारा मंडी शहर में बांधी जाती है।

देव आदि ब्रह्मा की उत्पत्ति की कहानी
देव आदि ब्रह्मा टिहरी उत्तरशाल का मंदिर कटौला के समीप गांव टिरी में स्थित है। श्री देव आदि ब्रह्मा की उत्पति प्राचीनतम मानी गई है, जिसके बारे में गाथाओं में ही उल्लेख मिलता है। बुजुर्गों के अनुसार देवता एक 6 माह की कन्या को उस समय मिला था जब उसके माता-पिता खेत में काम कर रहे थे। बच्ची खेत में खेल रही थी और उसके हाथ में एक खिलनी थी। खेलते-खेलते खिलनी में जमीन से एक मोहरा आ गया जो श्री देव आदि ब्रह्मा जी का था। आज भी उस मोहरे के सिर में खिलनी का छेद है जोकि रथ में विराजमान है। जहां मोहरा प्रकट हुआ वहां पर पंडितों का गांव था। इस गांव में 60 परिवार रहते थे। बताया जाता है कि मंडी निवासी एक भयंकर बीमारी के शिकार हो गए थे। उस समय मंडी की रक्षा का जिम्मा श्री देव आदि ब्रह्मा ने संभाला और एक बकरा साथ लेकर मंडी की परिक्रमा सेरी मंच से आरंभ करके पूरे नगर से होकर सेरी मंच पर इसका समापन किया। इसके पश्चात लोगों को बीमारी से छुटकारा मिल गया। तब से लेकर आज तक महाशिवरात्रि के दौरान यह परिक्रमा मंडी वासियों की सुख-समृद्धि के लिए देवता द्वारा की जाती है।

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