पाइप खरीद व टैंडर शर्तों में बार-बार बदलाव करने की होगी जांच : मुकेश अग्निहोत्री

Edited By Vijay, Updated: 22 Jan, 2023 11:53 PM

deputy cm mukesh agnihotri

जल शक्ति विभाग में बड़े स्तर पर पाइप खरीद और बार-बार टैंडर की शर्तें बदलने सहित फोरेन फंडिंग में मंजूर राशि से कहीं अधिक टैंडर लगाने के मामले में अब जल शक्ति विभाग में कइयों पर गाज गिरेगी। सरकार ने इस मामले में जांच करने का फैसला लिया है।

ऊना (सुरेन्द्र): जल शक्ति विभाग में बड़े स्तर पर पाइप खरीद और बार-बार टैंडर की शर्तें बदलने सहित फोरेन फंडिंग में मंजूर राशि से कहीं अधिक टैंडर लगाने के मामले में अब जल शक्ति विभाग में कइयों पर गाज गिरेगी। सरकार ने इस मामले में जांच करने का फैसला लिया है। जल शक्ति विभाग की रिव्यू मीटिंग में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। हर डिवीजन में पाइपों के ढेर लगे हुए हैं। आखिर यह पाइपें एडवांस में क्यों खरीद ली गईं और इसकी क्या आवश्यकता थी, इन तमाम सवालों के जवाब संबंधित अधिकारियों से मांगे जाएंगे। जल शक्ति विभाग में क्या-क्या अनियमितताएं हुई हैं इसको लेकर अब सरकार गंभीर हुई है। इनपुट लिए गए हैं और उसी आधार पर अब सिलसिलेवार जांच होगी। 

टैंडरों में पात्रता मापदंडों को बार-बार बदलने पर खड़े हुए सवाल 
जल शक्ति विभाग (जल शक्ति विभाग) में विभिन्न कार्यों के टैंडरों में पात्रता मापदंडों (एलिजिविलिटी क्राइटेरिया) को बार-बार बदलने पर सवाल खड़े हुए हैं। वर्ष 2019 से लेकर 2021 तक सचिव स्तर पर 5 बार पात्रता मापदंड बदले गए। आखिर जल शक्ति विभाग में टैंडरों के लिए इतनी बार यह मापदंड क्यों बदले गए। आखिर क्यों समकक्ष अथॉरिटी यानी डीएनआईटी अप्रूविंग अथॉरिटी की बजाय इसे सचिव स्तर पर क्यों बदला जाता रहा। भारत सरकार के सैंट्रल विजीलैंस कमीशन (सीटीई आर्गेनाइजेशन) के दिशा-निर्देशों के विपरीत डीएनआईटी अप्रूविंग अथॉरिटी की बजाय इसे सचिव स्तर पर बदला गया। इसको लेकर भी अब विभाग में पड़ताल होगी। जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेही के दायरे में लाया जाएगा।

अधिकारियों ने क्यों की नियमों की अनदेखी?
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि फोरेन फंडिंग प्रोजैक्टों में निर्धारित राशि के कई गुणा अधिक राशि के टैंडर लगा दिए गए। आखिर इसकी क्या आवश्यकता थी। क्यों ऐसा हुआ। जल शक्ति विभाग के अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी क्यों की? यह तमाम सवाल अब उनसे पूछे जाएंगे। जांच होगी तो निश्चित तौर पर कई मामले सामने आएंगे। जल शक्ति विभाग के टैंडरों में कई विचित्र शर्तें भी जोड़ी गई थीं। गोबियन स्ट्रक्चर (बोल्डर को संग्रहित कर तार की जाली से बांधकर बनी संरचना) के लिए जो टैंडर आमंत्रित किए गए, उस टैंडर में पम्पिंग सिस्टम, पाइपिंग वर्क, वाटर ट्रीटमैंट प्लांट, वाटर स्टोरेज, ट्यूबवैल स्थापित करने जैसी शर्तें जोड़ दी गईं, जबकि जिस कार्य के लिए टैंडर आमंत्रित किया गया था उसमें इन शर्तों का होना कोई मायने नहीं रखता था। क्या कारण था कि विभाग ने गोबियन स्ट्रक्चर के कार्य करने वाले ठेकेदारों की बजाय पाइप लाइन का काम करने वालों को भी इसमें शामिल कर दिया। आखिर ऐसी विभाग की क्या मजबूरी थी। 

700 करोड़ की राशि का था प्रावधान, 900 करोड़ के लगा दिए टैंडर 
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री जिनके पास जल शक्ति विभाग का जिम्मा भी है, का कहना है कि निश्चित रूप से विभाग में बड़े स्तर पर पाइप खरीद, टैंडर की शर्तों में बार-बार फेरबदल और फोरेन फंडिंग के प्रोजैक्टों में निर्धारित राशि से कई गुना अधिक राशि के टैंडर लगाने जैसे कई मामले सामने आए हैं। प्रदेशभर से जल शक्ति विभाग के डिवीजनों से जो जानकारी ली गई है उसमें हैरान करने वाले मामले सामने आए हैं। उपमुख्यमंत्री का कहना है कि फोरन फंडिंग के लिए जो 700 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान था उसकी बजाय 900 करोड़ रुपए के टैंडर लगा दिए गए। अग्निहोत्री ने पाइप खरीद, टैंडरों की शर्तों में फेरबदल और योजनाओं में स्वीकृत राशि की बजाय अधिक राशि के टैंडर लगाना संदेह के घेरे में हैं। विभाग की रिव्यू बैठकों में तमाम मसले सामने आए हैं। किसके इशारे पर काम हुआ, कौन अधिकारी जिम्मेदार है। यह सारी चीजें जांच में सामने आएंगी। अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार पारदर्शिता के साथ तमाम मसलों को सामने लाएगी। 

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