Edited By Vijay, Updated: 05 Aug, 2025 01:07 PM

क्या सरकार के नारों भर से शिक्षा की तस्वीर बदलेगी? "स्किल इंडिया", "डिजिटल इंडिया", "शिक्षा का अधिकार" जैसे बुलंद इरादों के बावजूद हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के अंतर्गत आते वजीर राम सिंह राजकीय महाविद्यालय देहरी की सच्चाई कुछ और ही बयान कर रही है।
रैहन (दुर्गेश कटोच): क्या सरकार के नारों भर से शिक्षा की तस्वीर बदलेगी? "स्किल इंडिया", "डिजिटल इंडिया", "शिक्षा का अधिकार" जैसे बुलंद इरादों के बावजूद हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के अंतर्गत आते वजीर राम सिंह राजकीय महाविद्यालय देहरी की सच्चाई कुछ और ही बयान कर रही है। काॅलेज में 11 शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जिसमें पत्रकारिता, गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र, वनस्पति विज्ञान और वाणिज्य जैसे मुख्य विषय शामिल हैं। पत्रकारिता का पद लम्बे समय से खाली पड़ा है। भौतिकी, रसायन और गणित जैसे विषयों में दो-दो पद रिक्त हैं, वाणिज्य और वनस्पति विज्ञान में एक पद खाली है, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। काॅलेज का छात्रावास अब वीरान और खंडहर में तबदील हो चुका है।
कम शिक्षक, अधिक जिम्मेदारी
इन तमाम चुनौतियों के बीच जो शिक्षक कालेज में कार्यरत हैं, वे दोहरी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। सीमित संसाधनों में भी समय निकालकर नियमित कक्षाएं ली जा रही हैं। काॅलेज प्रशासन ने "मैंटोरिंग समूहों" का गठन किया है जो हर माह मिलते हैं और छात्रों की समस्याओं का समाधान खोजते हैं। सर्दियों की छुट्टियों में विशेष सुधारात्मक कक्षाएं आयोजित की गईं। परास्नातक प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग सत्र भी संचालित किए गए, जिनके परिणामस्वरूप कई विद्यार्थियों का चयन केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल और जम्मू विश्वविद्यालयों एवं पुणे के राष्ट्रीय संस्थान में हुआ। न केवल शिक्षक, बल्कि गैर-शैक्षणिक स्टाफ की भी भारी कमी है, जिससे प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। छात्रों को मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कॉलेज का कुल परिणाम पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत बेहतर रहा। कॉलेज के कई होनहार छात्रों का चयन देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में हुआ है, जिनमें सैंट्रल यूनिवर्सिटी जम्मू, सैंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश और इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च पुणे शामिल हैं।
खेलों में चमक, लेकिन प्लेसमैंट में निराशा
छात्र खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। वाटर स्पोर्ट्स, रैसलिंग, बॉक्सिंग, ताइक्वांडो में कॉलेज ने राज्य स्तर पर पदक जीते हैं। सांस्कृतिक गतिविधियों में भी कॉलेज को पहली बार इंटर कॉलेज युवा महोत्सव में वाद्य संगीत श्रेणी में पुरस्कार मिला, लेकिन प्लेसमैंट की बात करें तो स्थिति निराशाजनक है। पिछले साल 24 छात्र शॉर्टलिस्ट हुए, लेकिन दूसरे राऊंड के इंटरव्यू के लिए चंडीगढ़ में न जा सके। इस साल प्राचार्य ने ठोस प्रयासों की बात कही है।
बुनियादी ढांचे पर शुरू पहल
काॅलेज की 2 पुरानी इमारतें गिरा दी गई हैं। विधायक भवानी पठानिया और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने एक नए ऑडिटोरियम और प्रशासनिक भवन की घोषणा की है। प्रस्ताव निदेशालय में विचाराधीन है। काॅलेज में एक लाइब्रेरी है यहां 120 छात्रों की बैठने की व्यवस्था है और भविष्य में डिजिटल लाइब्रेरी, स्किल्ड डिवैल्पमैंट सैंटर की योजना है। डिजिटल पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए 60 टैबलेट के लिए स्वीकृति पत्र की प्रतीक्षा है।
छात्रावास का प्रयोग अन्य गतिविधियों के लिए करेंगे : प्राचार्य
काॅलेज के प्राचार्य डॉ. सचिन ने बताया कि छात्रावास को फिर से उपयोग में लाने के लिए पीडब्ल्यूडी से मुरम्मत हेतु एस्टीमेट तैयार करने का आग्रह किया गया है। योजना है कि इसे पीजी कक्षाओं, ईको क्लब और रैड रिबन क्लब जैसी गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाएगा। प्राचार्य ने बताया कि कालेज में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है। लगभग कालेज में 79 प्रतिशत लड़कियां हैं। इसलिए कोशिश की गई थी कि छात्रवास को लड़कियों के होस्टल के रूप में इस्तेमाल किया जा सके लेकिन कई प्रयासों के बावजूद छात्रावास का उपयोग नहीं हो पा रहा, क्योंकि ज्यादातर छात्राएं स्थानीय हैं और होस्टल में नहीं रहना चाहतीं। इसलिए अब इस बिल्डिंग को वैकल्पिक तौर पर उपयोग में लाने की योजना है।