Edited By Kuldeep, Updated: 28 Jan, 2025 09:41 PM
शुक्रवार को देहरा में पुराने और नाराज कार्यकर्त्ताओं का मिलन समारोह आयोजित होने जा रहा है, जिसने हिमाचल प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
देहरा (सेठी): शुक्रवार को देहरा में पुराने और नाराज कार्यकर्त्ताओं का मिलन समारोह आयोजित होने जा रहा है, जिसने हिमाचल प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश धवाला द्वारा बुलाई गई इस बैठक को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। माना जा रहा है कि यह बैठक पार्टी के भीतर की नाराजगी और उपेक्षा के शिकार कार्यकर्त्ताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास है। दरअसल राज्यसभा सीट के चुनाव के बाद जहां लगातार गर्माहट महसूस की गई। कांग्रेस से आए नेताओं को एडजस्ट करने के चक्कर में डिस्टर्ब हुए हलकों में से देहरा भी एक है।
रमेश धवाला ने कहा कि यह बैठक किसी सामान्य चर्चा का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा, "मीडिया थोड़ा इंतजार करे, जल्द ही बड़े धमाके होंगे।" सूत्रों के अनुसार तीसरे मोर्चे के गठन की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। बैठक में कुछ ऐसे नेता भी पहुंच सकते हैं जो भाजपा से नाराज होकर कांग्रेस में चले गए थे। धवाला ने इस पर कहा कि जब बड़े नेताओं का कोई दीन-मजहब नहीं है तो छोटे नेता भी किसी भी पार्टी में जा सकते हैं।" यह भी पता चला है कि इस बैठक में वे कार्यकर्त्ता शामिल होंगे, जिन्हें पार्टी में उपेक्षित महसूस किया जा रहा है।
खासतौर पर देहरा क्षेत्र के नेता और कार्यकर्त्ता, जहां धवाला के समर्थकों को मंडलाध्यक्ष पद देने से इन्कार कर दिया गया था, इस बैठक में अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं। पार्टी के पुराने कार्यकर्त्ता और धवाला समर्थक यह मानते हैं कि भाजपा ने कांग्रेस से आए नेताओं को तरजीह देकर पुराने कार्यकर्त्ताओं की अनदेखी की है। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों और तीन निर्दलीयों ने भाजपा को समर्थन दिया, जिसके बाद उन्हें संगठन में प्रमुख स्थान मिला। इससे पुराने कैडर में असंतोष बढ़ गया है।
देहरा बना हलचल का केंद्र
देहरा में चल रही उथल-पुथल ने इसे हिमाचल की राजनीति का केंद्र बना दिया है। शुक्रवार की बैठक के शैड्यूल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देहरा अब राजनीतिक संघर्ष का एपिक सैंटर बनने वाला है।
1998 का इतिहास दोहराने की तैयारी?
रमेश धवाला का नाम हिमाचल की राजनीति में कई ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा है। 1998 में ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने उन्हें किडनैप करके कैबिनेट मंत्री बनाया था, लेकिन जल्द ही भाजपा के तत्कालीन प्रभारी नरेंद्र मोदी के पेपर नैपकिन पर भेजे संदेश और शांता कुमार के निर्देश पर धवाला ने पलटी मारी, जिससे कांग्रेस की सरकार गिर गई और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने।
भाजपा को होगा नुक्सान? पैरलल संगठन की तैयारी
कांगड़ा जैसे महत्वपूर्ण जिले में यदि तीसरा मोर्चा उभरता है तो इसका सीधा असर भाजपा के चुनावी गणित पर पड़ सकता है। रमेश धवाला ने कहा कि मित्रों को इकट्ठा करके राजनीति क्या होती है, यह बताएंगे। उनका यह बयान संकेत देता है कि पार्टी के भीतर बगावत की चिंगारी अब लपटों का रूप ले सकती है।
इस कारण बढ़ा और असंतोष
पूर्व विधायक होशियार सिंह के भाजपा में शामिल होने और उनके समर्थकों को संगठन में तरजीह मिलने से रमेश धवाला और उनके समर्थकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अब देहरा में दोनों मंडलों हरिपुर और ढलियारा में अपने समर्थकों को नजरअंदाज किए जाने से खफा धवाला पैरलल संगठन बनाने की तैयारी में है। उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि पार्टी में अपने हक के लिए लड़ाई लड़ना जरूरी हो गया है।