Edited By Jyoti M, Updated: 09 Apr, 2025 11:13 AM
आजकल एंड्रॉयड फोन ने हमारी जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है, लेकिन इसके साथ ही मोबाइल ऐप्स और इंटरनेट के जरिए साइबर ठग भी हमारी जानकारी चुराने के रास्ते तलाश रहे हैं। एक साधारण मोबाइल एप्लिकेशन से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग और बैंकिंग तक, साइबर अपराधी लोगों...
हिमाचल डेस्क। आजकल एंड्रॉयड फोन ने हमारी जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है, लेकिन इसके साथ ही मोबाइल एप्स और इंटरनेट के जरिए साइबर ठग भी हमारी जानकारी चुराने के रास्ते तलाश रहे हैं। एक साधारण मोबाइल एप्लिकेशन से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग और बैंकिंग तक, साइबर अपराधी लोगों की निजी जानकारी को चुराने के कई तरीके खोज चुके हैं। इन ठगों के पास आपके नाम, पते, फोन नंबर, ईमेल आईडी, आधार नंबर, क्रेडिट कार्ड नंबर, और प्रीपेड कार्ड के सीरियल नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी होती है।
ठगों के पास आपकी जानकारी
साइबर ठग अब बैंक, शॉपिंग साइट्स और मोबाइल एप्स के जरिए यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच बना रहे हैं। इतना ही नहीं, वे आपके ब्राउज़र में सेव किए गए ऑटोफिल डेटा को भी चुरा सकते हैं। इन अपराधियों के पास आपके द्वारा डाले गए क्रेडिट कार्ड और प्रीपेड कार्ड का सीवीवी नंबर भी हो सकता है, जिससे वे आपकी वित्तीय स्थिति को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हिमाचल विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के निदेशक, अमरजीत सिंह के अनुसार, ठग लोगों को लालच देकर या डराकर ठगते हैं। ऐसे में किसी भी एप को डाउनलोड करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वह किस प्रकार की जानकारी एक्सेस करने की अनुमति मांग रहा है।
साइबर ठगी के तरीके
साइबर ठगों के कई तरीके होते हैं, जिनके जरिए वे लोगों को ठगते हैं। आइए जानते हैं इन तरीकों के बारे में:
1. सोशल मीडिया अकाउंट हैकिंग
साइबर ठग अक्सर प्रलोभनों वाले मैसेज भेजते हैं, जैसे "लॉटरी जीतने पर उपहार" या "बैंक के अलर्ट"। जब लोग इन मैसेजों पर क्लिक करते हैं, तो उनका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो जाता है। हाल ही में, सोलन के एक व्यक्ति से एक ऐसे ही मामले में ठगों ने 12 लाख रुपये चुरा लिए।
2. कॉल फॉरवर्डिंग और मर्जिंग से ठगी
कॉल फॉरवर्डिंग के जरिए भी साइबर ठग आपके ओटीपी तक पहुंच सकते हैं। जब वे आपको # के साथ कुछ अंक डायल करने के लिए कहते हैं, तो कॉल कंडीशनल फॉरवर्ड हो जाती है। इसके बाद, जब आपका फोन बिजी होता है, तो ठग उस समय ओटीपी मंगवाते हैं और आपका ओटीपी चोरी कर लेते हैं।
3. वॉइस मेल तकनीक का दुरुपयोग
साइबर अपराधी आपके फोन पर वॉइस मेल को इनेबल कर देते हैं। जब आप व्यस्त होते हैं, तो आपके फोन का वॉइस मेल साइबर अपराधी को भेज दिया जाता है। इस वॉइस मेल में ओटीपी रिकॉर्ड हो सकता है, जिसे ठग चोरी कर सकते हैं और आपके खाते से पैसे निकाल सकते हैं।
4. खतरनाक गेमिंग ऐप्स
बच्चों द्वारा डाउनलोड किए गए गेमिंग एप्स भी साइबर ठगी का शिकार बना सकते हैं। इन गेम्स में मल्टीप्लेयर और चेटिंग की सुविधा होती है, जिससे कोई भी व्यक्ति आपके बच्चे से बात कर सकता है और उनकी स्क्रीन को शेयर करके ओटीपी तक पहुंच सकता है। इसलिए बच्चों को इन असुरक्षित गेम्स से बचाकर रखना बेहद जरूरी है।
कैसे बचें इन ठगों से?
साइबर ठगों से बचने के लिए आपको कुछ एहतियात बरतने की जरूरत है:
एप्स के परमिशन चेक करें: किसी भी एप को डाउनलोड करने से पहले उसकी परमिशन चेक करें। यह सुनिश्चित करें कि वह ऐप आपके व्यक्तिगत डेटा तक पहुंचने का अनुरोध न कर रहा हो।
ओटीपी के साथ सावधान रहें: कभी भी ओटीपी को किसी के साथ साझा न करें, खासकर अगर वे आपसे फोन कॉल या संदेश के जरिए संपर्क करें।
वायरस और मालवेयर से बचाव: अपने फोन में एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करें और उसे नियमित रूप से अपडेट रखें।
बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा: बच्चों को असुरक्षित गेम्स और एप्स दूर रखें और उन्हें ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में जागरूक करें।
लिंक पर क्लिक करते समय सतर्क रहें: संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें, क्योंकि यह लिंक आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स और अन्य व्यक्तिगत जानकारी को हैक कर सकते हैं।