लैवेंडर की खेती ने दिलाई इन 2 किसानों को अलग पहचान, हर साल कमा रहे लाखों रुपए

Edited By Vijay, Updated: 10 Mar, 2023 06:28 PM

cultivation of lavender

सुगंधित फूलों का नाम आते ही खुशबू का अहसास होने लगता है लेकिन जब इन्हीं फूलों की खेती से कमाई के साथ स्वरोजगार मिलने लगे तो चेहरे पर मुस्कान बरबस ही आ जाती है। जिले के विकास खंड तीसा की सेईकोठी पंचायत के प्रगतिशील किसान लोभी राम और हरतवास पंचायत के...

चम्बा (काकू): सुगंधित फूलों का नाम आते ही खुशबू का अहसास होने लगता है लेकिन जब इन्हीं फूलों की खेती से कमाई के साथ स्वरोजगार मिलने लगे तो चेहरे पर मुस्कान बरबस ही आ जाती है। जिले के विकास खंड तीसा की सेईकोठी पंचायत के प्रगतिशील किसान लोभी राम और हरतवास पंचायत के उन्नत किसान यशवंत सिंह ने सुगंधित फूलों की खेती में अपनी अलग ही पहचान बनाई है। लोभी राम कहते हैं कि वे सुगंधित पौधों की खेती लगभग 22 वर्ष से करते आ रहे हैं। पिछले 5 वर्ष से लैवेंडर की खेती करने में रुचि दिखा रहे हैं, जितना लाभ लैवेंडर की खेती करने से हुआ है उतना अन्य सुगंधित पौधों की खेती से नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि लैवेंडर की खेती ऐसी है कि जिसके पौधे को न ही जंगली जानवर व बंदर आदि खराब करते हैं और न ही किसी भी प्रकार की खाद की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि लैवेंडर के फूल, तेल, नर्सरी के साथ-साथ लैवेंडर के पत्ते भी आमदनी का साधन है। इस खेती से काफी लाभ प्राप्त किया है। उन्होंने जम्मू और कश्मीर में भी इस खेती को प्रोत्साहित करने के लिए वहां के लोगों का सहयोग किया है।

लैवेंडर की खेती के साथ गुलाब के पौधों की इंटर क्रॉपिंग 
लैवेंडर की खेती के साथ उन्होंने गुलाब के पौधों की इंटर क्रॉपिंग भी की है। उन्होंने कहा कि गुलाब तेल की भी बाजार में काफी मांग है और जिसकी कीमत लगभग 20 से 30 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है। इसके साथ-साथ गुलाब के पौधे और उनकी कलमें भी अच्छी कीमत पर बिकते हैं। उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग के साथ-साथ अरोमा मिशन के तहत हमें लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए मदद मिल रही है। मिशन के अंतर्गत पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि किसान अधिक से अधिक इस खेती से जुड़ते हैं तो वे अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

तेल बेचकर एक साल में कमाए 26 लाख रुपए
लोभी राम ने कहा कि उन्होंने ऑयल डिस्टलेशन यूनिट भी स्थापित किया है, जहां पर वह खुद ही तेल निकालते हैं। लैवेंडर के तेल की कीमत 15 से 20 हजार रुपए प्रति किलोग्राम है। उन्होंने कहा कि 4 हैक्टेयर भूमि पर सुगंधित पौधों की खेती कर रहे हैं। इस कार्य में चुराह के ही लगभग 40 किसान हमारे साथ जुड़े हैं। किन्नौर में भी लैवेंडर के पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा पिछले साल तेल बेचकर लगभग 26 लाख की आमदनी अर्जित की है। कुठ की खेती भी कर रहे हैं जिसके तेल की कीमत लगभग 2 लाख रुपए पर किलोग्राम है और उन्होंने लगभग 400 बीघा में हर्बल की खेती की है। उन्होंने बताया कि सुगंधित पौधों की खेती से वे सालाना करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहे हैं।

यशवंत ने 3 साल में तैयार किए 30 हजार पौधे
ग्राम पंचायत हरतवास के यशवंत सिंह कहते हैं कि वे 2006 से लैवेंडर की खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसान लोभी राम के साथ मिलकर पिछले 3 सालों में 25 से 30 हजार पौधों को तैयार किया है। उन्हें इस खेती से काफी लाभ हो रहा और वे इस काम को बड़ी ही लगन और मेहनत से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लैवेंडर के पौधे का कोई भाग व्यर्थ नहीं जाता है और वह साल में लैवेंडर की खेती की 3 फसलें निकाल लेते हैं। जून माह में लैवेंडर की भरपूर फसल होती है, अक्तूबर माह और फरवरी माह में भी फसल निकलती है। लैवेंडर के एक क्विंटल पौधों से लगभग एक से डेढ़ किलोग्राम तेल निकलता है, जिसकी कीमत लगभग 15 से 20 हजार रुपए मिल जाती है और घरद्वार पर ही तेल की बिक्री हो जाती है। 

क्या कहते हैं उद्यान विभाग के फैसिलिटेटर
उद्यान विभाग के फैसिलिटेटर राहुल राठौर ने बताया कि अरोमा मिशन के तहत विकास खंड तीसा में प्रगतिशील किसान लोभी राम लैवेंडर की खेती से काफी मुनाफा कमा रहे हैं। इसके साथ साथ अन्य किसानों को भी इस खेती के प्रति अपनी रूचि दिखाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। अरोमा मिशन के तहत जिला प्रशासन के सहयोग से आईएचबीटी पालमपुर द्वारा लैवेंडर पौधे वितरित किए गए। 

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