सीएम जयराम ने ली योजना विभाग की बैठक, जिलाधीशों को दिए ये निर्देश

Edited By Vijay, Updated: 20 Jan, 2021 09:36 PM

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जिलाधीशों (डीसी) को निर्देश दिए कि वे लीक से हटकर सोचें और अपने जिले में कम से कम एक विशेष योजना की शुरूआत करें। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में लागू होने वाली सभी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए प्रभावी निगरानी...

शिमला (ब्यूरो): मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जिलाधीशों (डीसी) को निर्देश दिए कि वे लीक से हटकर सोचें और अपने जिले में कम से कम एक विशेष योजना की शुरूआत करें। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में लागू होने वाली सभी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए तथा एफसीए और एफआरए स्वीकृतियों पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकासात्मक परियोजनाओं के निष्पादन में देरी की जांच के लिए जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री यहां योजना विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

विधायकों से परामर्श के बाद डीपीआर को अंतिम रूप दें अधिकारी

उन्होंने कहा कि विधायक प्राथमिकता से संबंधित प्रोजैक्टों की डीपीआर को फाइनल करने से पहले विधायक से परामर्श लिया जाना चाहिए। निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते विधायक को संबंधित क्षेत्र की विकासात्मक आवश्यकताओं और जन आकांक्षाओं की बेहतर जानकारी होती है। लिहाजा ऐसे में डीपीआर फाइनल करने से पहले विधायकों से परामर्श होना चाहिए तथा उन्हें इसे तैयार करने में हुए विलम्ब के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह महसूस किया गया है कि विधायक प्राथमिकताओं में अक्सर विलम्ब हो जाता है क्योंकि संबंधित विभागों द्वारा समय पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि विधायकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर योजना के बारे में जिला स्तर पर नियमित बैठकें आयोजित की जानी चाहिएं।

पीडब्ल्यूडी में 114 व जल शक्ति विभाग में 137 प्रोजैक्ट स्वीकृत

जयराम ठाकुर ने कहा कि आरआईडीएफ-एक्सएक्सवीआई के अन्तर्गत लोक निर्माण विभाग में 500 करोड़ रुपए की 114 परियोजनाएं, जबकि जल शक्ति विभाग में 300 करोड़ रुपए की 137 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इन परियोजनाओं को पूरा करने की अवधि 2020-21 से 2023-24 तक है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड के अन्तर्गत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को निर्धारित समय पर तैयार करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। योजना विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कुल योजना आकार अनुसूचित जाति उपयोजना और जनजातीय उपयोजना में निर्धारित अनुपात में संलग्न हो। उन्होंने कहा कि कार्यान्वयन और निगरानी संबंधित विभागों द्वारा प्रभावी आकलन के साथ की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं और बजट आश्वासनों के कार्यान्वयन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राज्य सरकार ने नाबार्ड और अन्य फंङ्क्षडग एजैंसियों को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए प्रति विधानसभा क्षेत्र की सीमा बढ़ाकर 120 करोड़ रुपए, जबकि विधायक क्षेत्र विकास निधि योजना के तहत आबंटन राशि को बढ़ाकर 1.75 करोड़ रुपए किया है।

बैठक में उच्च अधिकारी रहे मौजूद, डीसी ऑनलाइन जुड़े

मुख्य सचिव अनिल खाची सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बैठक में मौजूद रहे, जबकि सभी डीसी भी ऑनलाइन जुड़े। मुख्य सचिव ने कहा कि विकास की गति को बढ़ावा देने के लिए निगरानी तंत्र को भी और अधिक मजबूत किया जाएगा। उन्होंने राज्य की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए वार्षिक गतिविधियों की योजना बनाने पर बल दिया। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व आरडी धीमान, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जेसी शर्मा, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा एवं केके पंत, योजना सलाहकार डॉ. बसु सूद, सचिव रजनीश, देवेश कुमार, डॉ. अक्षय सूद, डॉ. राजीव शर्मा और अमिताभ अवस्थी, विशेष सचिव सीपी वर्मा, निदेशक सूचना एवं जन संपर्क हरबंस सिंह ब्रसकोन, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. रवि शर्मा, इंजीनियर-इन-चीफ जल शक्ति विभाग नवीन पुरी व निदेशक स्वास्थ्य डॉ. बीबी कटोच सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।

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