हिमाचल में बादल फटने की घटनाओं का होगा अध्ययन, आपदा हैल्पलाइन से जुड़ेगा 1100 नंबर

Edited By Vijay, Updated: 26 Aug, 2023 10:47 PM

cm sukhvinder singh in meeting

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह ने अधिकारियों को प्रदेश में बादल फटने की बढ़ती घटनाओं पर अध्ययन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आपदा संबंधी हैल्पलाइन नंबर 1077 और 1070 के अतिरिक्त सीएम हैल्पलाइन नंबर 1100 को भी इसमें जोड़ा जाएगा....

शिमला (भूपिन्द्र): मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह ने अधिकारियों को प्रदेश में बादल फटने की बढ़ती घटनाओं पर अध्ययन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आपदा संबंधी हैल्पलाइन नंबर 1077 और 1070 के अतिरिक्त सीएम हैल्पलाइन नंबर 1100 को भी इसमें जोड़ा जाएगा, ताकि आपदा के समय प्रभावितों को समय पर समुचित सहायता उपलब्ध करवाई जा सके। साथ ही उन्होंने कहा कि नागरिक सुरक्षा ढांचे को सुदृढ़ किया जाएगा तथा इसके लिए युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि आपदा के समय एकजुट प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके। यह बात उन्होंने शनिवार को शिमला में हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की 8वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। 

आपदा प्रबंधन को लेकर 47390 स्वयंसेवियों को किया जा रहा प्रशिक्षित
सीएम ने आपदा के समय जानमाल को कम से कम नुक्सान के दृष्टिगत अग्र सक्रिय रूप से कार्रवाई पर बल दिया। बैठक में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और इसके लिए तैयारियों से संबंधित विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने क्षमता निर्माण उपायों पर बल देते हुए कहा कि राज्य में 47390 स्वयंसेवियों को आपदा प्रबंधन को लेकर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में उनकी सेवाएं सुनिश्चित की जाएंगी।

प्राकृतिक आपदाओं के लिए अति संवेदनशील है हिमाचल
सीएम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के लिए अति संवेदनशील है और आपदा संबंधित जोखिम को कम करने के लिए ऐसी घटनाओं से प्राप्त डाटा का संकलन और इसकी निरंतर निगरानी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राज्य में सभी सरकारी विभाग भी सुरक्षित निर्माण सुनिश्चित करें। भूमि उपयोग आधारित योजना, पाठशालाओं, अस्पतालों सहित अन्य संवेदनशील भवनों की रेट्रोफिटिंग अनिवार्य की जानी चाहिए। पहाड़ी ढलानों के कटान, मलबा प्रबंधन और निर्माण से निकलने वाले मलबे के लिए निर्धारित बिन्दुओं की पहचान सुनिश्चित की जानी चाहिए और जल निकासी व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए। 

मौसम के पूर्वानुमान के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली होगी विकसित 
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी बारिश के कारण होने वाले नुक्सान को कम करने के दृष्टिगत वर्तमान में वास्तविक समय के आधार पर मौसम संबंधी पूर्वानुमान के लिए एक सुदृढ़ और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली विकसित करना आवश्यकता है। प्रदेश के हिमाच्छादित क्षेत्रों में 5 स्वचालित मौसम पूर्वानुमान प्रणालियां स्थापित करना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि ग्लेशियरों के पिघलने से बनने वाली अस्थायी झीलों की निरंतर निगरानी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान बांधों से पानी छोड़ने के लिए समुचित प्रणाली की अनुपालना सुनिश्चित की जानी चाहिए और बांधों से पानी रूक-रूक कर छोड़ा जाना चाहिए ताकि निचले क्षेत्रों में होने वाले नुक्सान को सीमित किया जा सके। 

भूकंपरोधी तकनीक से होगा राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल का निर्माण
उन्होंने कहा कि प्रदेश में राजीव गांधी राजकीय डे-बोर्डिंग स्कूल योजना के तहत भवनों के निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बादल फटने की घटनाओं की पूर्व सूचना से संबंधित प्रणाली विकसित करने पर भी बल दिया ताकि इससे होने वाले नुक्सान को न्यून किया जा सके। 

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here

Related Story

Trending Topics

IPL
Lucknow Super Giants

Royal Challengers Bengaluru

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!