Mandi: सीटू ने बजट को मजदूर, कर्मचारी, किसान व जनता विरोधी दिया करार, किया विरोध प्रदर्शन

Edited By Jyoti M, Updated: 05 Feb, 2025 01:09 PM

citu termed the budget as anti labour employee farmer and public

मोदी सरकार द्धारा संसद में पेश बजट प्रस्ताव के खिलाफ देशव्यापी आह्वान के तहत सीटू से जुड़ी विभिन्न यूनियनों और मैडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन ने मंडी में शहर में विरोध रैली निकाली और सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया जिसमें रेहड़ी मज़दूरों ने रेहड़ियां बन्द रख...

मंडी (रजनीश) : मोदी सरकार द्धारा संसद में पेश बजट प्रस्ताव के खिलाफ देशव्यापी आह्वान के तहत सीटू से जुड़ी विभिन्न यूनियनों और मैडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन ने मंडी में शहर में विरोध रैली निकाली और सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया जिसमें रेहड़ी मज़दूरों ने रेहड़ियां बन्द रख कर हड़ताल की। प्रदर्शन का नेतृत्व सीटू के ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह महासचिव राजेश शर्मा, गोपेन्द्र शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, सुरेश सरवाल व मैडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन के राज्य अध्यक्ष जगदीश ठाकुर, ज़िला अध्य्क्ष डीके ठाकुर व सचिव गौतम ने किया।

सीटू ने केंद्रीय बजट को पूर्णतः मजदूर, कर्मचारी, किसान व जनता विरोधी करार दिया है। यह बजट गरीब विरोधी है व केवल पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाला है। सीटू के ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के मजदूर, कर्मचारी, किसान व जनता विरोधी बजट के खिलाफ आज 5 फरवरी को मंडी में विरोध प्रदर्शन किया गया। सीटू ने मांग उठाई है कि मनरेगा योजना के लिए बजट में कम से कम पचास प्रतिशत वृद्धि की जाए वर्तमान बजट प्रस्ताव में पिछले साल के बराबर 86 हज़ार करोड़ रुपये का ही बजट प्रस्तावित किया गया है।

ऐसी ही स्थिति सक्षम आंगनवाड़ी परियोजना की है जिसका नाम तो बदल दिया गया है और इनका काम बढ़ा दिया गया है लेकिन बजट में वृद्धि नहीं कि गयी है। यही स्थिति मिड डे मील योजना की है। सरकार मज़दूरों के काम के घण्टे आठ से बढ़ा कर 12 करने जा रही है और न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी का कोई प्रस्ताव नहीं है। यही नहीं सरकार ने बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए कोई उपाय बजट में नहीं किये हैं और किसानों को मिनिमम स्पोर्ट मूल्य की क़ानूनी गारंटी के वादे को पूरा करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है।

दूसरी तरफ सार्वजनिक क्षेत्र जिसमें बीमा, बैन्क, रेलवे इत्यादि क्षेत्र में सौ प्रतिशत विदेशी निवेश का प्रवधान करने की योजना बना ली है और कुलमिलाकर आज़तक खड़े किए सार्वजनिक क्षेत्र को पूंजीपतियों और विदेशी कंपनियों को बेचने का काम मोदी सरकार कर रही है।फार्मासूटिकल क्षेत्र को भी विदेशी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है।

सीटू नेताओं ने चेताया कि सरकार ने मज़दूर विरोधी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण, श्रम सहिंताओं को लागू करने के फैसले को नहीं बदला तो सभी मज़दूर यूनियनें देशव्यापी हड़ताल करेंगी और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मार्च के पहले सप्ताह में शिमला में मजदूरों का राज्य स्तरीय विराट प्रदर्शन किया जायेगा।जिसमें हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्रों, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, मनरेगा, निर्माण, क्षेत्र, जलविद्युत परियोजनाओं, एसजेवीएनएल, एनएचपीसी, रेलवे निर्माण, फोरलेन, मेडिकल कॉलेज, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, नगर परिषद आदि सार्वजनिक सेवाओं, आउटसोर्स कर्मी, रेहड़ी फड़ी तहबजारी व अन्य व्यवसायों के मजदूर व कर्मचारी शामिल होंगे।

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