Edited By Simpy Khanna, Updated: 02 Dec, 2019 04:23 PM
राज्य सरकार शिक्षा के बड़े-बड़े दावे करती है मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। ताजा मामला पांवटा साहिब के मिनी सचिवालय से मात्र 4 किलोमीटर दूर भूंगरनी प्राथमिक पाठशाला का है। यह पाठशाला वर्ष 2012 में खोली गई थी। मगर तब से अब तक ना तो इस...
पांवटा (प्रेम वर्मा) : राज्य सरकार शिक्षा के बड़े-बड़े दावे करती है मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। ताजा मामला पांवटा साहिब के मिनी सचिवालय से मात्र 4 किलोमीटर दूर भूंगरनी प्राथमिक पाठशाला का है। यह पाठशाला वर्ष 2012 में खोली गई थी। मगर तब से अब तक ना तो इस पाठशाला के लिए सरकार जमीन उपलब्ध करा पाई है और ना ही इसके लिए भवन।
यह प्राथमिक पाठशाला गांव के ही महिला मंडल भवन के एक कमरे में चल रहा है। इसी एक कमरे में बच्चों के लिए खाना पकाया जाता है और इसी कमरे में ही स्कूल से संबंधित जरूरी कागजात रखे जाते हैं और इसी कमरे के अंदर 21 बच्चे शिक्षा लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं। कक्षा 1 से 5 तक इस स्कूल में 21 छात्र छात्राएं पढ़ती हैं। मगर एक ही कमरे में यह छात्र छात्राएं शिक्षा किस तरह से ले रहे होंगे। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है जब सर्दियों का मौसम होता है उस समय यह बच्चे बाहर धूप में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं मगर जब गर्मियों की धूप या बरसात के मौसम मे बारिश शुरु होती है।
वहीं जब इस बारे में पावटा विकासखंड के बीआरसी विकास कश्यप से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह स्कूल वर्ष 2012 में खोला गया था मगर अभी तक ना तो स्कूल के लिए जमीन मिल पाई है और ना ही स्कूल का अपना भवन बन पाया है। उन्होंने इस समस्या के बारे में अपनी हायर अथॉरिटी को अवगत भी कराया है मगर अभी तक कोई ठोस कार्य नहीं हो पाया है जैसे ही स्कूल के लिए जमीन उपलब्ध हो पाएगी इसके आगे का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।