Edited By Vijay, Updated: 19 Sep, 2021 10:07 PM
जिला बिलासपुर के उपमंडल घुमारवीं के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पडयालग के गांव बाड़ी छजोली में कमल ठाकुर के घर ब्रह्मकमल खिला है। मान्यता है कि या फूल बहुत ही दुर्लभ फूल है और ब्रह्मा और शिव का प्रिय फूल है। इस फूल के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं...
भराड़ी (राकेश): जिला बिलासपुर के उपमंडल घुमारवीं के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पडयालग के गांव बाड़ी छजोली में कमल ठाकुर के घर ब्रह्मकमल खिला है। मान्यता है कि या फूल बहुत ही दुर्लभ फूल है और ब्रह्मा और शिव का प्रिय फूल है। इस फूल के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मान्यता है कि 1000 कमल के फूल और एक ब्रह्मकमल भगवान को अर्पित करना एक समान है। यह पुष्प अपने में असीमित अलौकिक शक्तियां समेटे हुए रहता हैं। घर के ब्रह्म भाग में इसे लगाने मात्र से सभी प्रकार के वास्तु दोषों का प्रभाव खत्म हो जाता है। इस पुष्प में बहुत ही ओषधीय गुण पाए जाते हैं। इसको सुखाकर कैंसर की दवाई में प्रयोग होता है। इससे निकलने वाले पानी से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। माना जाता है कि इसमें खुद देवताओं का वास रहता है। भगवान ब्रह्मा के नाम पर इस फूल का नाम पड़ा था। इसकी खुशबू बहुत ही मनमोहक होती है। इस फूल का वर्णन महाभारत में भी मिलता है।
गांव बाड़ी छजोली के कमल ठाकुर ने बताया कि लगभग एक से डेढ़ साल पहले वह अपने रिश्तेदार के घर से ब्रह्मकमल का एक पत्ता लाए थे। उन्होंने बताया कि यह पत्ते के माध्यम से ही लगता है। इस पौधे में टहनियां नहीं होती पत्ते से आगे पत्ता निकलकर ही यह पौधा तैयार होता है और पत्ते से ही फूल खिलता है। उन्होंने बताया कि उन्होंने तीन और लोगों को हाल ही में इसके पौधे तैयार करके गिफ्ट किए हैं और खुद के पास भी एक और पौधा तैयार किया है। ऐसी मान्यता है कि इस पुष्प का पत्ता या पौधा सिर्फ उपहार दिया जाता है, इसके पैसे नहीं लिए जाते। कमल ठाकुर ने बताया कि वह फूल के खिलने पर खुद को बहुत ही सौभाग्यशाली समझते हैं। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे गांव में लोगों को इस फूल के खिलने के बारे में पता लगा तो वे घर पर इसके दर्शनों के लिए आने लगे। अब तक बहुत से लोगों ने इसके दर्शन किए हैं।
बता दें कि इससे पहले बिलासपुर शहर निवासी प्रविंद्र शर्मा के घर में इस देवपुष्प ने अपने दर्शन दिए हैं। इससे पहले यह दिव्य पुष्प सोलन जिला के तुलसी कुटीर आश्रम में 22 मई को खिला था। यह पुष्प वर्ष में एक ही बार आधी रात को खिलता है और सुबह होने से पहले ही बंद हो जाता है।
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