Edited By Vijay, Updated: 07 Sep, 2022 08:08 PM

राज्य कर एवं आबकारी विभाग की दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवाणु ने बीबीएन के एक उद्योग मालिक को 62 करोड़ रुपए का नोटिस जारी किया है। बीबीएन में उद्योगपति ने अपनी 2 इकाइयां एक ही जीएसटी नम्बर पर पंजीकृत की हुई थीं। ये 2 यूनिट एक-दूसरे से महज 15 किलोमीटर...
सोलन (नरेश पाल): राज्य कर एवं आबकारी विभाग की दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवाणु ने बीबीएन के एक उद्योग मालिक को 62 करोड़ रुपए का नोटिस जारी किया है। बीबीएन में उद्योगपति ने अपनी 2 इकाइयां एक ही जीएसटी नम्बर पर पंजीकृत की हुई थीं। ये 2 यूनिट एक-दूसरे से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इन दोनों यूनिट में एक से दूसरी यूनिट को जॉब वर्क पर बिल काटे जाते हैं, जिनका उपयोग जीएसटी रिटर्न में कर मुक्त सप्लाई क्लेम में किया जा रहा था। इससे प्रदेश के राजस्व को करोड़ों रुपए का चूना लग रहा था। दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवाणु ने इस मामले का कड़ा संज्ञान लिया और जांच में पाया गया कि गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रैडिट का लाभ लिया जा रहा है। इस पर विभाग ने वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 वित्तीय वर्षों के लिए यह नोटिस जारी किया।
हालांकि विभाग ने उद्योगपति को भी अपना पक्ष रखने के कई अवसर दिए गए। यही नहीं, जीएसटी एक्ट के तहत नोटिस ऑफ लाइबिलटी भी जारी किया गया था लेकिन उद्योगपति की ओर से अपने बचाव में संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। विभाग की मानें तो जांच में आयकर से संबंधित आईटीआर व अन्य विवरणियों की पड़ताल की गई, जिसमें पाया गया कि एक ही जीएसटी नम्बर पर दोनों यूनिट की सेल अलग-अलग क्लेम की गई है जबकि एक जीएसटी नम्बर पर सेल टर्नओवर कॉमन ही होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस उद्योग का प्रतिवर्ष का कारोबार 200 से 300 करोड़ रुपए का है। इसके अलावा अन्य राज्यों में 8 जीएसटी नम्बर हैं। जुलाई, 2017 से अभी तक जीएसटी में अनियमितता चली हुई थी लेकिन कभी किसी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।
दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवाणु के संयुक्त आयुक्त जीडी ठाकुर आईटी टूल की मदद से जीएसटी चोरी के इस मामले का पर्दाफाश करने में कामयाब हुए क्योंकि वे एक उच्च प्रशिक्षित साइबर एक्सपर्ट हैं। सीजीएसटी चंडीगढ़ की टीम ने बद्दी डीजीजीआई विंग के साथ 12 अगस्त को इस उद्योग में छापा मारा था। जीएसटी में अनियमितता के मामले में ही यह छापेमारी की गई थी। हालांकि परवाणु टीम द्वारा पहले ही इस मामले में कार्रवाई की जा रही थी और उनकी जांच निष्कर्ष पर पहुंच ही गई थी। इसलिए सीजीएसटी ने इस पूरे मामले की कार्रवाई के लिए दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवाणु को ही अधिकृत कर दिया। राज्य कर एवं आबकारी दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवाणु के संयुक्त आयुक्त जीडी ठाकुर ने इस मामले की पुष्टि करते हुए कि 30 दिनों के अंदर उद्योग के मालिक को अपना पक्ष रखना होगा। यदि जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो उसे 62 करोड़ रुपए की राशि जमा करवानी पड़ेगी।
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