बरमाणा में रेलवे यार्ड बनने से जाम हो जाए 4000 ट्रकों के पहिए, ट्रांसपोर्टरों ने जेपी नड्डा से लगाई ये फरियाद

Edited By Vijay, Updated: 03 May, 2023 06:28 PM

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बरमाणा में जहां रेलवे यार्ड बन रहा है उससे बरमाणा ट्रांसपोर्टर रेलवे की नीति से नाखुश हैं। क्योंकि इस यार्ड के बनने से ट्रांसपोर्टरों का कारोबार छिन जाएगा। यह बात बीडीटीएस के पूर्व प्रधान जीत राम गौतम सहित अन्य सभा के सदस्यों में ध्यान सिंह ठाकुर,...

बिलासपुर (अंजलि): बरमाणा में जहां रेलवे यार्ड बन रहा है उससे बरमाणा ट्रांसपोर्टर रेलवे की नीति से नाखुश हैं। क्योंकि इस यार्ड के बनने से ट्रांसपोर्टरों का कारोबार छिन जाएगा। यह बात बीडीटीएस के पूर्व प्रधान जीत राम गौतम सहित अन्य सभा के सदस्यों में ध्यान सिंह ठाकुर, राजेश ठाकुर, कश्मीर सिंह चंदेल, बालक राम कपिल, राम कुमार शर्मा, सुभाष कपल्स, रतन लाल ठाकुर आदि ने बरमाणा में आयोजित एक वार्ता में कही। उन्होंने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से रेलवे का जंक्शन यार्ड बरमाणा सीमैंट नगरी से बाहर बनाए जाने के इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। बिलासपुर की धरती जेपी नड्डा की गृह भूमि भी है और उनसे ट्रांसपोर्टरों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने की फरियाद की है। इसी मसले को लेकर उन्होंने केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर से भी हस्ताक्षेप करने की मांग रखी है। 

38 वर्षों से विस्थापन का दंश झेलते आ रहे बरमाणा के लोग
बरमाणा के लोग पिछले 38 वर्षों से विस्थापन का दंश बार-बार झेलते आ रहे हैं। 4 दशक पहले एसीसी सीमैंट फैक्टरी लगने से लोगों को उजड़ना पड़ा, उसके बाद फिर दोबारा एसीसी से उजड़े। अब तीसरी बार भानुपल्ली-लेह रेल लाइन से उजड़ना पड़ रहा है और अब रेलवे यार्ड लगने से एसीसी इकाई का सीमैंट व कच्चे माल की ढुलाई का कार्य ट्रांसपोर्टरों से छिन जाएगा। एसीसी की गागल इकाई 1984 से स्थापित होने के बाद कुछ वर्ष पहले विदेशी कंपनियां होलसिम व लाफार्ज रन कर रही थी और जब अडानी समूह का हिस्सा बनी तो ट्रांसपोर्टरों को मिलने वाली ढुलाई डिमांड में गिरावट आ गई। उन्होंने आने वाले समय की परिस्थितियों को बताते हुए कहा कि जब बरमाणा में रेलवे यार्ड बन जाएगा तो एसीसी की गागल इकाई से जुड़े 4000 ट्रकों के पहिए घूमने बंद हो जाएंगे। इससे रेलवे मालामाल और ट्रांसपोर्टर के हाल बेहाल होंगे क्योंकि बरमाणा सीमैंट फैक्टरी से होने वाली सीमैंट ढुलाई व कच्चे माल का कार्य अब रेलवे की मालगाड़ी से होगा। 

ट्रांसपोर्टरों के हकों पर कुठाराघात होना निश्चित
वैसे ही एसीसी गागल सीमैंट इकाई से सीमैंट की ढुलाई कर रहे ट्रांसपोर्टरों को पिछले दो-तीन वर्षों से सही सीमैंट ढुलाई का कार्य नहीं मिल रहा है। इससे उन्हें भारी आर्थिक नुक्सान हो रहा है और ट्रकों की लोन की किस्तें तथा परिवार का पालन-पोषण करना भी मुश्किल हुआ था। पहले एसीसी द्वारा 15000 मीट्रिक टन सीमैंट व क्लींकर जिसमें 13000 मीट्रिक टन सीमैंट व 2 हजार मीट्रिक टन क्लिंकर की डिमांड थी। उसके बाद यह घटकर 8 हजार मैट्रिक टन सीमैंट व 2 हजार मीट्रिक टन क्लिंकर पर रही। यदि रेलवे यार्ड बन गया तो सीमैंट व कच्चे माल की ढुलाई डिमांड की सुई की रफ्तार धीमी हो जाएगी। 

लंबी दूरी की सारी डिमांड होगी बंद
इसमें लंबी दूरी की सारी डिमांड बंद और हिमाचल की लोकल डिमांड ही सीमित रह जाएगी। इससे ऑप्रेटरों को भारी आॢथक नुक्सान होगा और रोजगार भी खत्म हो जाएगा। ट्रकों की लोन की किस्तें तथा परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो जाएगा। ध्यान सिंह ठाकुर ने कहा कि अब बरमाणा में रेलवे यार्ड बनने से एसीसी से सही ढुलाई का कार्य न मिलने से ट्रांसपोर्टरों के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने हिमाचल सरकार से भी ट्रांसपोर्टरों के हकों को सुरक्षित रखते हुए मांग की है कि यहां पर रेलवे यार्ड न बनाया जाए। इस यार्ड को बरमाणा से बाहर बनाया जाए ताकि ट्रांसपोर्टरों का कार्य बाधित न हो।

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