Edited By Vijay, Updated: 16 Aug, 2024 09:37 PM
हिमाचल प्रदेश के जलाशयों एवं सामान्य नदी नालों व इनकी सहायक नदियों में लगा मत्स्य आखेट पर 2 माह का प्रतिबंध शुक्रवार को समाप्त हो गया।
बिलासपुर (विशाल): हिमाचल प्रदेश के जलाशयों एवं सामान्य नदी नालों व इनकी सहायक नदियों में लगा मत्स्य आखेट पर 2 माह का प्रतिबंध शुक्रवार को समाप्त हो गया। मछली पकड़ने पर लगे प्रतिबंध के हटते ही प्रथम दिन प्रदेश के जलाशयों से 31.8677 मीट्रिक टन मछली पकड़ी गई है जिसमें गोबिंदसागर झील में 15.2183 मीट्रिक टन, कोलडैम से .066 मीट्रिक टन, पौंग जलाशय से 16.4014 मीट्रिक टन तथा चमेरा व रणजीत सागर से .182 मीट्रिक टन मछली मछुआरों ने पकड़ी।
गोबिंद सागर जलाशय में जगातखाना अवतरण केंद्र की दाड़ी-बाड़ी मत्स्य सहकारी सभा के मछुआरे सुभाष चंद ने कतला प्रजाति की सबसे बड़ी साढ़े 33 किलो भारी मछली पकड़ी। जबलू सोसायटी जगातखाना के किशोरी ने साढ़े 31 किलोग्राम की मछली पकड़ी। पौंग जलाशय से नगरोटा सूरियां अवतरण केंद्र की नगरोटा सूरियां मत्स्य सहकारी सभा के सुरजन सिंह ने 25.3 किलोग्राम की कतला मछली व रणजीत सागर से संधारा अवतरण केन्द्र की संधारा मत्स्य सहकारी सभा के मछुआरे किशोरी लाल ने 8 किलो की सिल्वर कार्प मछली पकड़ी।
विभागीय आंकड़े देखें तो पिछले वर्ष 1 अप्रैल 2023 से 15 अगस्त 2023 तक की तुलना में प्रदेश के जलाशयों में इस वर्ष इसी समय अंतराल में लगभग 32 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन की बढ़ौतरी दर्ज की गई है। अगस्त 2023 के मुकाबले अगस्त 2024 में गोबिंद सागर जलाशय में लगभग दोगुना मत्स्य उत्पादन हुआ है। आईसीएआर सीफरी-कोलकाता द्वारा दी गई सिफारिशों के अनुरूप गोबिंद सागर जलाशय के वैज्ञानिक अध्ययन उपरांत केवल 100 एमएम से अधिक के आकार का मत्स्य बीज संग्रहित किया गया जिसके फलस्वरूप मत्स्य उत्पादन में वृद्धि देखी गई।
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