मंडी: बड़ा देव कमरुनाग का सरानाहुली मेला संपन्न, भक्तों ने पवित्र झील में अर्पित किए सोना-चांदी व नकदी

Edited By Vijay, Updated: 14 Jun, 2024 05:23 PM

bada dev kamrunag

मंडी जनपद के बड़ा देव कमरुनाग का सरानाहुली मेला शुक्रवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने देवता का आशीर्वाद प्राप्त किया।

गोहर (ख्यालीराम): मंडी जनपद के बड़ा देव कमरुनाग का सरानाहुली मेला शुक्रवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने देवता का आशीर्वाद प्राप्त किया। देवता के लाठी कारदारों ने देव पूजा के लिए सुबह से ही तैयारियां कर ली थीं और जैसे ही देव पूजा का समय आया, कमरुनाग देवता के गुर व कटवाल सहित अन्य कारदारों ने धूपबत्ती कर काहूलियों की ध्वनि के साथ मूर्ति पूजन कर देव झील (सर) का पूजन किया। इसके उपरांत देव कमेटी की ओर से सदियों से चली आ रही रीति के अनुसार झील में सोने-चांदी के जेवर बड़ा देव कमरुनाग को अर्पित किए। मेले में आए भक्तों ने भी अपनी मन्नतें पूर्ण होने पर झील में सोना-चांदी, सिक्के और नकदी अर्पित की। देवता के कटवाल काहन सिंह ठाकुर ने कहा कि इस बार देव कमरुनाग के सरानाहुली मेले में करीब 70 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया तथा मेला शांतिपूर्वक, श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हुआ है। एसडीएम मित्रदेव मोहताल ने मेले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आभार जताया तथा मंदिर कमेटी को बधाई दी है। थाना प्रभारी गोहर लालसिंह ठाकुर ने कहा है कि मेले में किसी भी प्रकार की कोई ऐसी घटना सामने नहीं आई है, जिससे शांति का माहौल बिगड़ा हो।
PunjabKesari

देवता के जयकारों से गूंजते रहे मंदिर जाने वाले रास्ते
कमरुनाग सरानाहुली मेले में मंडी, कुल्लू, बिलासपुर, शिमला, कांगड़ा व हमीरपुर जिलों सहित पड़ोसी राज्यों के हजारों की संख्या में लोगों ने शीश नवाया। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर कमेटी को देवता के दर्शन करवाने के लिए पुलिस की मदद का सहारा लेना पड़ा। देव कमरुनाग मंदिर तक पहुंचने वाले सरोआ, रोहांडा, जाच्छ, धंग्यारा, मंडोगलू, शाला और करसोग घाटी के रास्ते देवता के भक्तों के जयकारों से गुंजायमान रहे।

सरानाहुली मेले में नहीं जाता है देवता कमरुनाग का सूरजपखा
देव कमरुनाग के गुर देवी सिंह ठाकुर का कहना है कि वार्षिक सरानाहुली मेला जोकि देवता के मूल स्थान कमुराह में मनाया जाता है, के लिए देवता का प्रमुख चिन्ह सूरजपखा नहीं जाता और न ही वाद्ययंत्र। मेला स्थल के लिए गुर की माला (कुथली) काहुली और घंटी को लेना सदियों से मान्य है।

14 वर्ष बाद मेले में पधारे देव टूंगरासन, करवाते हैं भयंकर बारिश
अहम बात यह है कि इस बार 14 वर्ष बाद देव टूंगरासन मेला परिसर पधारे और मंदिर में देवता की मूल पिंडी के साथ विराजे रहे। बता दें कि देव टूंगरासन, देव कमरुनाग के पुत्र के रूप में जाने जाते हैं और सभी देव टीकों में सबसे कनिष्ठ माने जाते हैं। इससे पूर्व देवता वर्ष 2010 में मेला में आए थे। देव टूंगरासन को भी पिता कमरुनाग की तर्ज पर बारिश का देवता माना जाता है, लेकिन मान्यता है कि जब बारिश न होने की दशा में आराध्य किसानों और बागवानों की मांग को पूरा करने में असमर्थता व्यक्त करते हैं, तो ऐसे वक्त पर देव टूंगरासन के दरबार में गुहार लगाई जाती है। अहम बात यह है कि वे भयंकर बारिश करते हैं और साथ ही आसमानी गर्जना और बिजली गिरने का डर बना रहता है। इस लिए कई बार देव टूंगरासन से बारिश की गुहार लगाने से हमेशा परहेज ही किया जाता है।
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!