ऊपरी शिमला में निर्मित मंडियों को शुरू करना भूल गया APMC

Edited By Simpy Khanna, Updated: 16 Aug, 2019 10:34 AM

apmc forgot to start mandis built in shimla

कृषि उपज एवं विपणन समिति (ए.पी.एम.सी.) शिमला-किन्नौर ने लाखों रुपए खर्च करके कुछेक स्थानों पर मंडियों का निर्माण तो कर लिया है, लेकिन इन्हें शुरू करना भूल गया है। इस वजह से सेब सीजन में बागवानों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है।

शिमला(ब्यूरो): कृषि उपज एवं विपणन समिति (ए.पी.एम.सी.) शिमला-किन्नौर ने लाखों रुपए खर्च करके कुछेक स्थानों पर मंडियों का निर्माण तो कर लिया है, लेकिन इन्हें शुरू करना भूल गया है। इस वजह से सेब सीजन में बागवानों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है। पराला में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मंडी को 5 साल के बाद भी पूरी तरह शुरू नहीं किया जा सका। यहां 38दुकानों में से अब तक तकरीबन 8 दुकानों में ही व्यापारी काम कर रहे हैं।

खड़ापत्थर में भी मंडी बनने के बावजूद शुरू नहीं हो पाई। इसी तरह किन्नौर के टापरी में 4 साल के बाद भी फल मंडी सफेद हाथी साबित हो रही है। भावागनर मंडी भी बंद पड़ी है। ऐसा होने से शिमला की भट्टाकुफर मंडी पर दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि सेब सीजन के दौरान हर साल शिमला शहर की पौने 3 लाख की आबादी को ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ता है। वहीं रोहड़ू के मेहंदली में बीते 4 सालों से अत्याधुनिक सब्जी मंडी बनाने के दावे किए जा रहे हैं। इसके लिए मार्कीटिंग बोर्ड ने 1134 करोड़ के बागवानी विकास प्रोजैक्ट से बजट भी मंजूर कर रखा है, लेकिन अभी तक टैंडर प्रोसैस भी शुरू नहीं हो पाया है।

सेब से करोड़ों की आय, फिर भी मंडी बनाने में देरी

गौर रहे कि सेब पर यूजर चाॢजज से ए.पी.एम.सी. को हर साल करोड़ों की कमाई होती है। बावजूद इसके मंडियों के निर्माण व इन्हें शुरू करने में देरी हो रही है। इसके परिणाम किसानों-बागवानों को भुगतने पड़ रहे हैं। ऊपरी शिमला के अलग-अलग क्षेत्रों में यदि मंडियां शुरू कर दी जाएं तो किसानों-बागवानों को घरद्वार उत्पाद बेचने की सुविधा मिलेगी।

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