Edited By Vijay, Updated: 04 Sep, 2022 05:32 PM

लाहौल-स्पीति में उगाई जाने वाली पारंपरिक राजमाश की किस्मों का स्वाद अब हर कोई ले पाएगा। कृषि विश्वविद्यालय ने राजमाश की हिम पालम त्रिलोकी व कंचन वैरायटी लांच की हैं। कुलपति प्रो. एचके चौधरी ने इन्हें जारी किया है।
कुलपति ने जारी की हिम पालम त्रिलोकी व कंचन वैरायटी
पालमपुर (भृगु): लाहौल-स्पीति में उगाई जाने वाली पारंपरिक राजमाश की किस्मों का स्वाद अब हर कोई ले पाएगा। कृषि विश्वविद्यालय ने राजमाश की हिम पालम त्रिलोकी व कंचन वैरायटी लांच की हैं। कुलपति प्रो. एचके चौधरी ने इन्हें जारी किया है। इन किस्मों की विशिष्ट पारंपरिक सुगंध है। प्रदेश में राजमाश की लगभग 375 किस्में पाई जाती हैं। इनमें से अधिकांश क्षेत्र विशेष तक ही सीमित रही हैं और कुछ लुप्त होने की कगार पर हैं, ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय ने राजमाश की किस्मों की पहचान सुनिश्चित बनाने की कवायद आरंभ की है। विश्वविद्यालय ने कुकुमसेरी (लाहौल-स्पीति), किन्नौर, कुल्लू, मंडी और चम्बा जिलों के जनजातीय क्षेत्रों में राजमाश की 368 स्थानीय किस्मों की पहचान की है।
हिमाचल अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के लिए विख्यात है। यहां एक ओर ठंडा शुष्क रेगिस्तान है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न क्षेत्र हैं जो राजमाश को लेकर अन्य राज्यों से अलग हैं। बरोट, लाहौल-स्पीति, पांगी व रामपुर इत्यादि ठंडे क्षेत्रों के किसान इसकी खेती कर रहे हैं। सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के डीन डाॅ. वाईएस धालीवाल ने उदार अनुदान और नए संकाय और सुविधाओं को जोड़ने के लिए कुलपति को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि आरकेवीवाई-रफ्तार योजना के तहत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सहयोग से सीएम स्टार्टअप योजना के अंतर्गत इन्क्यूबेशन लैब की स्थापना की गई है। इस अवसर पर डाॅ. रंजना वर्मा और आशीष धीमान, वैज्ञानिक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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