कोटखाई मामला : हवालात में हत्या को लेकर CBI के हाथ लगा बड़ा सबूत

Edited By Punjab Kesari, Updated: 02 Aug, 2017 12:05 AM

kotkhai case  cbi has taken big evidence against the murder in lockup

कोटखाई थाने की हवालात में हुई सूरज नामक आरोपी की हत्या की गुत्थी जल्द सुलझ सकती है।

शिमला: कोटखाई थाने की हवालात में हुई सूरज नामक आरोपी की हत्या की गुत्थी जल्द सुलझ सकती है। सूत्रों के अनुसार इस सिलसिले में सी.बी.आई. को अहम सुराग हाथ लगे हैं। एस.आई.टी. को पता चला है कि थाने में आधी रात को पुलिस के  एक अधिकारी ने हवालात में अकेले में सूरज से पूछताछ की थी। बाद में उसे थाने के एक कमरे में ले गए, जहां उसेथर्ड डिग्री दी गई। सूचना में कहा गया है कि आरोपी को घसीटते हुए वापस हवालात में बंद कर दिया। सुबह हुई तो सूरज का अंत हो चुका था। क्या सूरज की हत्या पुलिस के हाथों हुई, सी.बी.आई. इस सूचना से जुड़ी कहानी की सच्चाई सामने लाएगी। इसके लिए थाने में कार्यरत संतरी के बयान को अहम माना जा रहा है। 

संतरी के अलावा मुंशी के बयान भी रखेंगे काफी मायने 
शिमला के तत्कालीन एस.पी. डी.डब्ल्यू. नेगी ने हत्या के बाद एस.एच.ओ., मुंशी और संतरी को सस्पैंड कर दिया था। संतरी के अलावा मुंशी के बयान भी काफी मायने रखेंगे। एस.पी. ने कहा था कि सूरज की हत्या आरोपी राजेंद्र उर्फ राजू की हाथापाई के कारण हुई। उसी दिन मुख्यमंत्री का भी बयान आया था। उस बयान में कहा गया था कि सूरज के गुप्तांग पर चोटें पहुंचने के कारण मौत हुई। एस.पी. ने कहीं भी इसका जिक्र नहीं किया था। थाना कोटखाई में इस संबंध में राजू के खिलाफ एक और मामला दर्ज हुआ था। गुडिय़ा मामले में भी पुलिस ने उसे मुख्य आरोपी माना लेकिन सी.बी.आई. दोनों मामलों में पुख्ता सबूत जुटाने के बाद ही उसे आरोपी मानेगी।  अगर संतरी ने सी.बी.आई. को बयान में पुलिस की कहानी से हटकर कुछ और उगला तो फिर जांच की दिशा ही बदल जाएगी। इस केस में कोटखाई थाने के पूर्व एस.एच.ओ. की भूमिका की सी.बी.आई. जांच कर रही है। 

हिमाचल पुलिस की छवि खराब होने की यह रही वजह
हिमाचल पुलिस की छवि खराब होने की दूसरी सबसे बड़ी वजह हवालात में हुई हत्या बनी।  राज्य सरकार के लिए इससे संकट खड़ा हो गया था। हालांकि सरकार ने इससे पहले ही सी.बी.आई. जांच की सिफारिश कर दी थी। जैसे ही 18 जुलाई को नेपाली सूरज की हत्या हुई, दूसरे दिन हाईकोर्ट ने सी.बी.आई. जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने इस केस में एस.आई.टी. गठित करने के भी आदेश दिए थे। 22 जुलाई को सी.बी.आई. ने दिल्ली में गुडिय़ा के गैंगरेप, मर्डर मामले और सूरज की पुलिस कस्टडी में हुई हत्या को लेकर दो अलग-अलग केस दर्ज किए। उसी दिन एस.आई.टी. भी गठित की गई गई।  

भूत मंदिर तक आए थे गुडिय़ा के परिजन
गुडिय़ा का भाई जैसे ही घर पहुंचा तो उसने दीदी को पुकारा। मां ने कहा कि वह तो घर नहीं आई है। बहन ने अगले दिन घर जाने की बात कही थी। हां खुद वह मामा के घर गया था। गुडिय़ा के परिजन बिटिया को खोजने 5 जुलाई की शाम को शिरगुली से दांदी के लिए आए। जैसे ही वे दांदी के भूत मंदिर के पास पहुंचे तो वहां के पुजारी ने बताया कि आगे जंगल में मत जाओ। इसमें खतरा हो सकता है क्योंकि इस जंगल में खतरनाक जानवर रहते हैं। बाद में इस पुजारी को भी पुलिस ने आरोपी बनाया। अगर परिजनों को उसी दिन हलाईला की ओर आने देते तो गुडिय़ा की लाश रात को ही मिल सकती थी। ऐसा भी हो सकता है कि तब गुडिय़ा किसी और ठिकाने में रखी गई हो। लाश 6 जुलाई को सुबह 7 बजे मिली। सूत्रों का कहना है कि यह लाश 8-9 घंटे पुरानी थी। अगर ऐसा था तो फिर छात्रा के साथ दरिंदगी 4 जुलाई को नहीं 5 जुलाई की रात को हुई होगी। इसका असली खुलासा सी.बी.आई. फोरैंसिक रिपोर्ट से लगाएगी।

पुलिस के निशाने पर रहा है राजू
राजू यंू तो मंडी के जंजैहली का रहने वाला है लेकिन काफी समय से हलाईला में ही रहता था। यहां वह बागवान अनंत राम नेगी के बगीचे की देखभाल करता था। पुलिस के निशाने पर यह तभी से रहा है जब से गुडिय़ा की लाश बरामद हुई थी। पुलिस की जांच के अनुसार इसी व्यक्ति ने 4 अन्य आरोपियों के साथ महासू स्कूल से घर जा रही लड़की गुडिय़ा को अपने वाहन में लिफ्ट दी। बागवानी से संबंधित उपकरणों को उतारने के बाद उसी ने गुडिय़ा को गाड़ी से नीचे खींचा और फिर पांचों ने मासूम के साथ दरिंदगी की लेकिन मौका- ए-वारदात के हालात इससे मेल नहीं खा रहे हैं।  

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