मंडी में मजदूरों का केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, डीसी के माध्यम से पीएम को भेजे मांग पत्र

Edited By Vijay, Updated: 18 Jul, 2024 02:10 PM

workers protest in mandi against central government

मजदूर संगठन सीटू के राज्यव्यापी विरोध दिवस पर वीरवार को आंगनबाड़ी, मिड-डे मील, रेहड़ी-फड़ी, फोरलेन, निर्माण एवं मनरेगा तथा एचपीएमआरए यूनियनों ने मंडी में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

मंडी (रजनीश): मजदूर संगठन सीटू के राज्यव्यापी विरोध दिवस पर वीरवार को आंगनबाड़ी, मिड-डे मील, रेहड़ी-फड़ी, फोरलेन, निर्माण एवं मनरेगा तथा एचपीएमआरए यूनियनों ने मंडी में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान डीसी के माध्यम से पीएम नरेंद्र मोदी को भेजे मांग पत्र भेजकर मांग की गई है कि केंद्र सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों को रद्द करके बनाई चार श्रम सहिंताओं को खत्म किया जाए और श्रम कानूनों को बहाल किया जाए। सीटू महासचिव राजेश शर्मा ने कहा कि ये श्रम कोड पूर्व भाजपा सरकार के समय ही बना दिए गए थे लेकिन लागू नहीं हुए थे और अब फिर से सत्ता में मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने इन्हें 100 दिनों में लागू करने का टारगेट तय किया है, जिसके विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके अलावा मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हजार मासिक करने की भी मांग की जा रही है।

प्रदर्शन के बाद आंगनबाड़ी यूनियन ने डीपीओ, मिड-डे मील यूनियन ने उपनिदेशक शिक्षा तथा रेहड़ी-फड़ी यूनियन ने निगमायुक्त मंडी को अपनी मांगों के बारे अलग-अलग मांग पत्र सौंपे। आंगनबाड़ी यूनियन ने मांग की है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत ग्रैचुएटी दी जाए, नर्सरी टीचरों की भर्ती रैगुलर आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में से ही की जाए और उन्हें इसके लिए एनटीटी प्रमाण पत्र में छूट दी जाए, सभी मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को पूर्ण केंद्र का दर्जा दिया जाए, 35 वर्ष से अधिक उम्र और 5 साल पूरा कर चुकी हैल्पर्ज को वर्कर बनाया जाए व हरियाणा की तर्ज पर मानदेय और पैंशन दी जाए। यदि ये मांगें नहीं मानी गईं तो यूनियन 28 जुलाई को सम्मेलन आयोजित करके आंदोलन की अगली रूपरेखा तैयार करेगी।

 वहीं मिड-डे मील यूनियन ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा उन्हें 10 की बजाय 12 महीने का वेतन देने के फैसले को तुरंत लागू किया जाए। 25 बच्चों की शर्त और स्कूलों को मर्ज करने या बन्द करने पर मिड-डे मील वर्कर्ज को भी दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाए या उन्हें विभाग में अन्य पदों पर नियुक्त किया जाए। उन्हें सभी प्रकार की जरूरी छुटियां दी जाएं और छुट्टी के समय स्कूलों में खाना बनाने की व्यवस्था विभाग करे जो वर्तमान में वर्कर्ज को ही करनी पड़ती है। रेहड़ी-फड़ी यूनियन ने निगमायुक्त मंडी को सौंपे ज्ञापन में मांग की कि जो फैसले टीवीसी में 6 महीने पहले लिए गए वे अभी तक भी लागू नहीं किए गए हैं। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इस बारे 19 जुलाई को यूनियनों की बैठक बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष के साथ शिमला में होने जा रही है। 

इसके अलावा फोरलेन व सफाई मजदूरों, सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांटों में काम कर रहे मजदूरों की मांगों बारे तथा आशा वर्कर्ज की मांगों बारे में भी आवाज उठाई गई। इसके अलावा बीएलओ का काम कर रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्वाचन आयोग द्वारा दी जा रही 6 हजार रुपए की राशि को 15 हजार वार्षिक करने की मांग बारे डीसी मंडी को बीएलओ यूनियन की प्रधान अर्चना के नेतृत्व में ज्ञापन सौंप गया। 
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